कर्नाटक- भारत का सबसे बड़ा सोने का भंडार
कर्नाटक, जिसे ‘सोने की भूमि’ के नाम से जाना जाता है, भारत में सोने के उत्पादन में सबसे आगे है। यह राज्य देश के कुल सोने के उत्पादन का लगभग 80% हिस्सा बनाता है और यहां भारत की सबसे बड़ी गोल्ड माइन है। कर्नाटक में सोने की खदानों के लिए प्राथमिक जिलों में कोलार, धारवाड़, हसन और रायचूर शामिल हैं। ये क्षेत्र सामूहिक रूप से भारत के सोने के उत्पादन के एक बड़े हिस्से में योगदान करते हैं। कर्नाटक के कोलार गोल्ड फील्ड्स (KGF) सोने की खदानों की समृद्ध धरोहर का प्रतीक हैं। 19वीं सदी से संचालित, KGF दुनिया की सबसे पुरानी और गहरी सोने की खदानों में से एक है। हालांकि, 2001 में लागत और गुणवत्ता की समस्याओं के कारण KGF का संचालन बंद हो गया था। KGF के बाद, रायचूर जिले की हुत्ती गोल्ड माइन, भारत की सबसे बड़ी सक्रिय सोने की खदान है। यह खदान सालाना लगभग 2.9 टन सोना उत्पादन करती है और इसमें लगभग 52.8 टन सोने का भंडार है। इस प्रमुख खदान में लगभग 3,800 कर्मचारी काम करते हैं और कीमती धातु निकालने के लिए अंडरग्राउंड एंड ओपन पिट माइनिंग मेथड का उपयोग किया जाता है। यह कर्नाटक के सोने की उद्योग में महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है।
राजस्थान
कर्नाटक के बाद, राजस्थान एक ऐसा राज्य है जो भारत के सोने के उत्पादन में एक महत्वपूर्ण योगदान देता है। राजस्थान में सोने की खोज मुख्य रूप से जहाजपुर, राधापुरा, बीकानेर और जैसलमेर में होती है। यहाँ प्रमुख खदानें जहाजपुर खदान, राधापुरा खदान, और जैसलमेर खदान हैं। इन खदानों में काफी सोना मिलता है, जिससे राज्य के सोने के उत्पादन में अच्छा योगदान होता है। यहाँ सोने को धातु के रूप में निकाला जाता है, जिससे राजस्थान भारत के सोने के खनन में एक खास भूमिका निभाता है। भूकिया-जगपुरा खदान राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में स्थित है और यह एक महत्वपूर्ण सोने की खदान है। इस खदान में सोने के बड़े भंडार पाए गए हैं, जिससे यह क्षेत्र सोने के उत्पादन के लिए प्रमुख स्थान बन गया है। इस भंडार में लगभग 11.48 मिलियन टन स्वर्ण पाय जाने का अनुमान है, जिसमें प्रति टन 2.88 ग्राम स्वर्ण है। यह खदान जयपुर से लगभग 260 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है और भारत की प्रमुख स्वर्ण उत्पादक साइटों में से एक बनने की संभावना है।
उत्तर प्रदेश
हाल ही में, उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में सोने के बड़े भंडार मिलने का दावा किया गया है। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) के अनुसार, यहाँ पर लगभग 3000 टन सोना होने का अनुमान लगाया गया है। अगर यह दावा सही साबित होता है, तो यह न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे भारत के लिए आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होगा। सोनभद्र में मिलने वाला सोना देश के सोने के भंडार में बड़ा योगदान देगा, जिससे भारत की स्वर्ण भंडारण क्षमता में वृद्धि होगी। यह संभावित खोज स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती दे सकती है और नए रोजगार के अवसर प्रदान कर सकती है।आंध्र प्रदेश
आंध्र प्रदेश राज्य के रामगिरी और अनंतपुर क्षेत्र में प्रमुख स्वर्ण खदानें स्थित हैं। राज्य में चित्तूर जिले में स्थित रामागिरी खदानें सोने की पुरानी खदानों में से एक हैं और यहाँ से उच्च गुणवत्ता का सोना निकाला जाता है। हाल ही में इन क्षेत्रों में नई स्वर्ण खदानों की खोज की गई है, जिससे राज्य के स्वर्ण उत्पादन में वृद्धि की संभावना बढ़ गई है। रिपोर्ट्स के अनुसार, इन नई खदानों में लगभग 5 मिलियन टन सोना का अनुमानित भंडार है। इन खोजों से न केवल राज्य की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न होंगे, जिससे स्थानीय जनसंख्या को लाभ होगा।तेलंगाना की सीमा के पास आंध्र प्रदेश में स्थित, जोनागिरी भारत की पहली निजी स्वामित्व वाली सोने की खदान है। यह खदान भारत में सोने के खनन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है और इसमें उच्च गुणवत्ता का सोना पाया जाता है।