डीएलटी प्लेटफॉर्म शुरू
अनिल कुमार लाहोटी ने बताया कि डिजिटल वितरण लेजर तकनीक (डीएलटी) प्लेटफॉर्म शुरू किया गया, जहां सभी प्रमुख संस्थाओं (पीई) जैसे बैंकों, वित्तयी संस्थाओं, कारोबारी संगठनों और सरकारी एजेंसियों के साथ उनके टेलीमार्केटर्स (टीएम) को जोड़ा गया है। इनके लिए डीएलटी पर पंजीकरण आवश्यक है। मोबाइल उपभोक्ताओं को संदेश भेजने के लिए उनकी डिजिटल या कागजी सहमति भी जरूरी है। हालांकि इसमें चुनौती यह है कि ग्राहकों की कागजी सहमति को डीएलटी पर कैले लाया जाए, क्योंकि आप इसे पूरी तरह त्याग नहीं सकते।TRAI ने दिया बयान
ट्राइ ने कहा कि डीएलटी मंच ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित है, जहां सभी कंपनियों को एसएमएस भेजने वाले संचरण प्रक्रिया की घोषणा करनी होगी। इससे हर संदेश को आसानी से ट्रैक कर पाना संभव हो सकेगा। इससे डेटा सुरक्षा से समझौता या एसएमएस वितरण में देरी किए बिना पता लगाया जा सकेगा कि संदेश कहां से भेजा गया है और किसे डिलीवर हुआ है। इसके साथ ही इस तकनीक से हर संदेश की वैधता जांची जाएगी और जो संदेश मान्य नहीं होंगे, उन्हें डिलीवर होने से पहले ही ब्लॉक कर दिया जाएगा। वर्तमान में यदि उपभोक्ता को किसी विशेष सेवा प्रदाता या विक्रेता से एसएमएस या कॉल प्राप्त होता है और ग्राहक यह शिकायत करते हैं कि यह स्पैम है तो इस पर कंपनियों का तर्क होता है कि उनके पास कागज पर इस विशेष ग्राहक की सहमति है। यह रिकॉर्ड केवल कागज पर है, ऑनलाइन सिस्टम में नहीं। इसलिए हमने ऐसी प्रणाली बनाई है, जहां ग्राहक की पिछली सहमतियां डीएलटी मंच पर आ जाएं। इसके बाद लोग चाहें तो पुरानी सहमति वापस ले सकते हैं।