एचएएल से 97 और तेजस की खरीद को शीघ्र मंजूरी के आसार
रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि वायुसेना इन दिनों लड़ाकू विमानों की कमी से जूझ रही है। मिग और पुराने हो रहे अन्य विमानों के फेजआउट होने के कारण लड़ाकू विमानों की स्वीकृत 42 स्क्वाड्रन की जगह वायुसेना के पास 32 स्क्वाड्रन ही रह गई है। ऐसे में तेजस की खरीद में तेजी जरूरी है। केंद्र सरकार भी आत्मनिर्भर भारत नीति के तहत इन विमानों के उत्पादन में तेजी लाने को प्रोत्साहन दे रही है। हाल ही तेजस के उन्नत संस्करण एलसीए एमके-2 के विकास के लिए नौ हजार करोड़ रुपए से ज्यादा मंजूर किए गए हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने भी शनिवार को एचएएल परिसर की यात्रा के दौरान प्रगति की समीक्षा की। वायुसेना के खरीद प्रस्ताव को मंजूरी के बाद उत्पादन में और तेजी आने के आसार हैं।
तीस को मिल सकती है मंजूरी
सूत्रों के अनुसार, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में डीएसी की बैठक संभवतः 30 नवंबर को होगी। इसमें 97 तेजस के अलावा 45 हजार करोड़ की लागत से 156 एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर (90 थलसेना व 66 वायुसेना के लिए) की खरीद व नौसेना के लिए विक्रांत के बाद एक और विमान वाहक पोत के निर्माण की मंजूरी के प्रस्ताव भी रखे जाने की संभावना है। यहां मंजूरी के बाद ये प्रस्ताव रक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी के सामने अंतिम मंजूरी के लिए पेश किए जाएंगे।
विदेशों की भी नजर
तेजस पर कई देशों की नजर है। हाल ही दुबई एयर शो में तेजस ने चीनी फाइटर जे-10सी व पाकिस्तान के जेएफ 17 थंडर ब्लॉक-3 से मुकाबला कर दुनिया का ध्यान खींचा है। इससे पहले मलेशिया, फिलिपींस, अर्जेंटीना, नाइजीरिया जैसे देश तेजस खरीदने में रूचि दिखा चुके हैं, लेकिन एचएएल की प्राथमिकता स्वदेशी जरूरत पूरी करना है।
एक नजर तेजस पर
– 4 मई 2003 को तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने दिया नाम तेजस
– 1 जुलाई 2016 को हुआ वायुसेना में शामिल
– ‘फ्लाइंग डैगर्स’ बनी पहली स्क्वाड्रन
– मई 2020 में बनी दूसरी स्क्वाड्रन ‘फ्लाई बुलैट’
– फरवरी 2021 में एचएएल से 83 तेजस खरीद का करार
ये है खासियत
– मल्टीमोड एयरबोर्न रडार
– हेलमेट माउंटेड डिस्प्ले
– सेल्फ प्रोटेक्शन सूट
– लैंडिंग-टेक ऑफ के लिए चाहिए बहुत कम जगह
– दुर्गम इलाकों में भी कर सकता है लैंडिंग
– नौसेना के विमान वाहक पोत से भी भर सकता है उड़ान