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टॉयलेट…एक दर्द भरी कथा, क्यों और कैसे, पढ़िए रिसर्च स्टोरी

Toilet shortage in public: भारत में महिलाओं को टॉयलेट को लेकर काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कई बार तो उनको कार्यस्थल पर घंटों टॉयलेट रोककर बैठना पड़ता है।

नई दिल्लीJan 09, 2025 / 10:59 am

Ashib Khan

Toilet shortage in public

Toilet shortage in public: बॉलीवुड में भले ही ‘टॉयलेट…एक प्रेम कथा’ नाम से फिल्म बनी हो, लेकिन असल ज़िंदगी में हिंदुस्तानियों के लिए ‘टॉयलेट…एक दर्द कथा’ ही है। घर हो या दफ्तर, स्टेशन हो या एयरपोर्ट, जेल हो या अस्पताल, हर जगह टॉयलेट की परेशानी आम ‘विशेषता’ बनी हुई है। सुरक्षित और उपयोग करने योग्य शौचालय सुविधाओं तक पहुंच होना सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण घटक है। भारत साफ-सफाई के मसले पर लंबे समय से जूझ रहा है। यहां कई दूसरे देशों की तुलना में स्वच्छता का मामला काफी खराब स्तर पर है। वर्ष 2000 में भारत की केवल 14% आबादी के पास ही बुनियादी स्वच्छता सुविधा तक पहुंच थी जिसके चलते हम सोमालिया जैसे बहुत गरीब देशों से भी काफी पीछे थे।

जेलों में टॉयलेट की स्थिति है खराब

जेलों में महिलाओं के लिए टॉयलेट की स्थिति बेहद खराब है। एक खबर के मुताबिक जेलों में 75 प्रतिशत महिला कैदियों को रसोई और शौचालय पुरुषों के साथ साझा तौर पर इस्तेमाल करना पड़ता है। जेलों में टॉयलेट की स्थिति भी साफ-सुथरी नहीं होती है। वहां पर टॉयलेट गंदे मिलते हैं। इसके अलावा दूसरे लोगों के घरों में खाना बनाने और कामकाज करने वाली महिलाओं को ज्यादातर मालिक वहां का टॉयलेट इस्तेमाल नहीं करने देते है। इससे महिलाओं को समस्या का सामना करना पड़ता है। कई बार उनको वहां का टॉयलेट इस्तेमाल करने पर नौकरी से भी निकाल दिया जाता है। 

मोदी सरकार ने चलाया स्वच्छ भारत अभियान

पिछले दो दशकों में भारत ने स्वच्छता के स्तर में सुधार करने की दिशा में लगातार प्रगति की है। स्वच्छता को लेकर केंद्र में नरेंद्र मोदी की नेतृत्व वाली सरकार ने 2014 से स्वच्छ भारत अभियान चलाया। मोदी सरकार ने गांवों में स्वच्छता को लेकर शौचालय योजना की शुरुआत की थी जिसका सकारात्मक प्रभाव जमीनी स्तर पर दिख रहा है। हालांकि अभी इस दिशा में हमें मीलों सफर करना बाकी है।


राजस्थान हाई कोर्ट ने पत्रिका की स्टोरी पर की गंभीर टिप्पणी

पत्रिका समूह ने पब्लिक प्लेस पर टॉयलेट की कमी होने के चलते जनता को हो रही दिक्कतों को लेकर लगातार स्टोरी पब्लिश की है। पत्रिका की स्टोरी पर राजस्थान हाई कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए गंभीर टिप्पणी भी की है।

लंबे समय तक टॉयलेट रोकने से महिलाओं को होती है ये समस्या

महिलाओं को कार्यस्थल हो या पब्लिक प्लेस में टॉयलेट की समस्या से जूझना पड़ता है। हालांकि कई जगहों पर टॉयलेट की सुविधा मिल जाती है लेकिन या तो वे गंदे होते है या बंद होते है। महिलाओं की कार्यस्थल की बात करें तो यहां भी महिलाओं को टॉयलेट की समस्या होती है, क्योंकि यहां पर गंदे टॉयलेट मिलते है। ऐसे में महिलाएं कई घंटों तक टॉयलेट रोककर बैठती है। अधिकतर दफ्तरों-थानों-स्कूलों में कामकाजी महिलाएं टॉयलेट की कमी या फिर अव्यवस्थाओं से शर्मसार हो रहीं हैं। देश-दुनिया के कई अध्ययन कहते हैं कि घरेलू या कामकाजी महिलाएं जब भी घर से बाहर निकलती हैं तो पानी नहीं पीतीं। उन्हें डर रहता है कि अगर लघुशंका आ गई तो मुश्किल होगी… कहां जाएंगे? यह बात सिर्फ सर्वे की नहीं हमारे आपके घर की भी है। महिलाओं को टॉयलेट रोकने से पथरी सहित यूरिन इंफेक्शन की समस्या हो जाती है। नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. आलोक जैन ने कहा पिछले दिनों शिक्षा विभाग से जुड़ी तीन महिलाओं के मामले आए। कम पानी पीने से उन्हें किडनी स्टोन और यूरिन संक्रमण था। यहीं हाल देश की 40 फीसदी महिलाओं का है।
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राजस्थान में महिलाओं के टॉयलेट की स्थिति

राजस्थान में करीब 56 हजार सरकारी कार्यालयों में 10 लाख अधिकारी-कर्मचारी हैं। इनमें 2.24 लाख महिलाएं हैं। 15 साल में महिलाकर्मियों की संख्या करीब 50 हजार बढ़ी है और आने वाले दस साल में 40 फीसदी सरकारी महिलाकर्मी और बढेंगी। इसके बावजूद सरकारी दफ्तरों में शौचालयों की बेहतर तो दूर सामान्य सुविधा तक नहीं है। राजधानी जयपुर में सचिवालय में महिलाएं टॉयलेट के लिए कतार में खड़ी होती हैं। राज्य के 70 फीसदी थाने ऐसे हैं जहां महिलाओं के लिए टॉयलेट ही नहीं हैं। संकोच के साथ पुरुषों के टॉयलेट या कॉमन टॉयलेट में जाना उनकी मजबूरी है। सरकारी स्कूलों की बात करें तो वहां भी यही स्थिति है। केंद्र और राज्य सरकारें करोड़ों रुपए टॉयलेट अभियान में खर्च कर रही हैं लेकिन इसके बाद भी महिलाएं संकोच में बीमार हो रही हैं। 
राजस्थान में सरकारी दफ्तरों की स्थिति

जिला / संस्थामहिला अधिकारी-कर्मचारियों की संख्यासमस्याएं
जयपुर शिक्षा संकुल500 से अधिक महिला टॉयलेट की सफाई की पर्याप्त व्यवस्था नहीं
बीकानेर शिक्षा निदेशालय125टॉयलेट की समस्या, महिला, रेस्ट रूम नहीं
झालावाड़5000ज्यादातर जगह कॉमन रूम और रेस्ट रूम नहीं
 कोटा180 अधिकारी और 4500 महिला कर्मचारीकरीब 200 विद्यालयों व कार्यालयों में शौचालय बदहाल
सीकर जिला कलक्ट्रेट100 अधिकारी व 20 कर्मचारी महिलाएंकॉमन रूम, रेस्टरूम नहीं
जोधपुर नगर निगमनगर निगम उत्तर- मेयर तथा 14 अन्य अधिकारी-कर्मचारी महिलाएं, दक्षिण में मेयर तथा 17 अधिकारी-कर्मचारी महिलाएंक्रेच, रेस्ट रूम, कॉमन रूम नहीं
 नागौर जिला कलक्ट्रेटडेढ दर्जन अधिकारी व 123 महिला कर्मचारीशौचालय पर्याप्त नहीं

यहां भी छलका टॉयलेट का दर्द 

टॉयलेट पर चर्चा करते ही जयपुर में सचिवालय में कार्यरत महिला अधिकारियों का दर्द छलक उठा। कहा- जब वे फील्ड विजिट पर जाती हैं तो पानी पीने से परहेज करती हैं, डर रहता है कि लघुशंका आई तो कहां जाएंगी? स्वयं राज्य महिला आयोग अध्यक्ष रेहाना रियाज चिश्ती ने भी ऐसा अनुभव साझा किया। थानों में कई जगह स्थिति यह है कि महिला-पुरुष कर्मी दोनों के लिए कॉमन टॉयलेट है। क्रेच कुछ दफ्तरों में हैं, जो भी कई जगह बंद हैं। 
प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण की शुरुआत से फरवरी 2024 तक निर्मित शौचालयों का राज्यवार ब्यौरा

राज्यटॉयलेट की संख्या
अरुणाचल प्रदेश21373
असम1047713
बिहार3207902
गुजरात26062
जम्मू कश्मीर187997
मध्य प्रदेश3262256
महाराष्ट्र1109907
राजस्थान1446810
उत्तर प्रदेश3319731

स्वच्छ भारत मिशन किया शुरू

भारत का लक्ष्य 2030 तक महिलाओं, लड़कियों और कमज़ोर समूहों पर ध्यान केंद्रित करते हुए सभी के लिए स्वच्छता और स्वच्छता तक समान पहुंच प्रदान करना है। इसके लिए भारत सरकार ने 2104 में स्वच्छ भारत मिशन (SBM) की शुरुआत की थी। स्वच्छ भारत मिशन के पहले चरण में देश को खुले में शौच मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा जबकि दूसरा चरण 2019 में शुरु हुआ। इसके तहत देश में स्वच्छता के स्तर को बनाए रखने और बढ़ाने के लिए ठोस और अपशिष्ट प्रबंधन पर केंद्रित है। 

खुले में शौच करने वालों की संख्या में हुई कमी

खुले में शौच करने वाले लोगों का अनुपात 1993 में 70% था जो कि 2021 में घटकर 19 प्रतिशत हो गया। यह एक बड़ी प्रगति को दर्शाता है। हालांकि अभी भी चुनौतियां बनी हुई है क्योंकि करीब चार में से एक ग्रामीण के पास अभी भी शौचालय की सुविधान नहीं है या वे इसका इस्तेमाल नहीं करते हैं। 

सरकार ने स्कूलों में टॉयलेट के लिए उठाए बड़े कदम

साल 2024 में एक जनहित याचिका के जवाब में केंद्र सरकार ने SC को बताया कि देश के 97.5 प्रतिशत से अधिक स्कूलों में अब शौचालयों की व्यवस्था है। ये आंकड़े बताते है कि देश के सभी प्रकार के स्कूलों में छात्राओं और महिला कर्मचारियों की स्वच्छता और गोपनियता सुनिश्चित करने के लिए बड़े कदम उठाए गए हैं। 
राज्यस्कूलों में टॉयलेट का प्रतिशत
दिल्ली, गोवा और पुडुचेरी100 प्रतिशत
पश्चिम बंगाल99.9 प्रतिशत
यूपी99.8 प्रतिशत
तमिलनाडु99.7 प्रतिशत
केरल99.6 प्रतिशत
गुजरात99.5 प्रतिशत
पंजाब99.5 प्रतिशत
जम्मू कश्मीर99.2 प्रतिशत
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