रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि सम्मेलन में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए), भारतीय सेना व भारतीय वायु सेना के प्रमुखों के साथ बातचीत के दौरान ऑपरेशनल तैयारियों का विश्लेषण करने, तीनों सेनाओं के बीच तालमेल और समुद्री बलों की तैयारी का आकलन भी किया जाएगा। रक्षा राज्यमंत्री नौसेना कमांडरों को सम्बोधित करेंगे। चीफ ऑफ स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान भी मौजूद रहेंगे।
सम्मेलन में नौसेना कमांडर वर्ष 2047 तक पूर्ण आत्मनिर्भरता हासिल करने के दृष्टिकोण के साथ ‘मेक इन इंडिया’ के जरिए स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करने तथा मौजूदा नौसेना परियोजनाओं की समीक्षा करेंगे। साथ ही नौसेना की स्वदेशीकरण, नवाचार और तकनीकी पहलों पर विशेष प्रस्तुतिकरण पेश किया जाएगा। इसके अलावा नौसेना में पुरानी अप्रचलित पद्धतियों की पहचान करने और उन्हें हटाने की दिशा में हुई प्रगति की समीक्षा की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि नौसेना के शीर्ष अधिकारियों का यह सम्मेलन साल में दो बार होता है। सम्मेलन में नौसेना के कमांडर व सरकार के वरिष्ठ अधिकारी देश के समग्र आर्थिक विकास के लिए जरूरी सुरक्षित समुद्री वातावरण की दिशा में अंतर-मंत्रालयी योजनाओं को आगे बढ़ाने पर चर्चा करते हैं।
अटलांटिक से प्रशांत महासागर तक दिखा जलवा
पिछले छह महीनों में भारतीय नौसेना का संचालन विस्तार अटलांटिक महासागर से प्रशांत महासागर तक नजर आया। नौसेना के जहाजों ने चक्रवात मोचा के बाद ‘ऑपरेशन करुणा’ के तहत म्यांमार में मानवीय सहायता व आपदा राहत पहुंचाने और ऑपरेशन कावेरी के तहत सूडान से भारतीय नागरिकों को निकालने में तत्परता से काम किया। दुनिया के कई देश किसी भी संकट के लिए भारतीय नौसेना को पसंदीदा सुरक्षा भागीदार मानते हुए इस पर भरोसा करते हैं। इसके मद्देनजर भी सम्मेलन में नौसेना के हथियारों व सेंसर के प्रदर्शन पर विशेष ध्यान देने तथा ऑपरेशनल तत्परता भी सम्मेलन के प्रमुख एजेंडा बिंदु रूप में रखा गया है।