इस अध्ययन के लिए लैंसेट ने डब्ल्यूएचओ के 154 देशों से 2000 से लेकर 2018 के बीच जुटाए गए आंकड़ों को आधार बनाया है। इन आंकड़ों के आधार पर जारी रिपोर्ट में पाया गया है कि लगभग एक चौथाई किशोर लड़कियों पर उनके पार्टनर ही जुल्म ढाते हैं। लैंसेट की चाइल्ड और एडोलेसेंट हैल्थ पर आधारित जर्नल में प्रकाशित डब्ल्यूएचओ की यह रिपोर्ट और इलाकों की 15 से 19 वर्ष की आयु की हजारों किशोर लड़कियों पर हुए सर्वे पर आधारित है।
किशोरियों के साथ हो रही इस प्रकार की हिंसा
हाथ उठाना
पैर से वार करना
जबर्दस्ती यौन संबंध
रेप का प्रयास
पिछले साल 16 फीसदी किशोरियों ने झेली हिंसा
रिपोर्ट में बताया गया कि 2024 में 24% किशोरियां कम से कम एक बार अपने पार्टनर द्वारा हिंसा का शिकार हुई हैं। पिछले साल यह आंकड़ा 16% था। इस रिपोर्ट के लेखक डॉ. लिनमेरी सरडिन्हा के अनुसार, यह विश्लेषण इसलिए किया गया है क्योंकि लड़कियां लगातार हिंसा का शिकार हो रही हैं और यह आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं। इसमें यह खुलासा हुआ है कि लड़कियों के साथ मारपीट, अवांछित यौन क्रिया और बलात्कार या बलात्कार की कोशिश की जाती है और इन मामलों में कमी नहीं देखी गई है।
गरीब देशों में हिंसा ज्यादा
वहीं रिपोर्ट से यह भी साफ हुआ कि जिन राज्यों में लड़कियों और महिलाओं की शिक्षा तक सीमित पहुंच थी, वहां हिंसा में थोड़ी कमी थी। साथ ही यह भी देखा गया है कि गरीब देशों में किशोरियों के साथ हिंसा के प्रकरण ज्यादा देखे गए हैं। विश्लेषण से पता चला कि ओशिनिया इलाके में हिंसा की दर सबसे अधिक थी। उसके बाद अफ्रीका और पापुआ न्यू गिनी में 49% लड़कियों के साथ उनके साथियों ने मारपीट की। सबसे कम दर यूरोप में थी जहां 10% ने इस तरह की घटनाओं का जिक्र किया है।
जीवन का सबसे संवेदनशील समय
डब्ल्यूएचओ की सेक्सुअल और रिप्रोडक्टिव हेल्थ एडं रिसर्च डिपार्टमेंट की निदेशक पास्कल एलोटे ने बताया कि जीवन के जो समय सबसे संवेदनशील और निर्माण समय होता है, उस दौरान किशोरियों से यह हिंसा का उनके जीवन पर दूरगामी असर होता है और इसके यादें जीवनभर बनी रहती हैं। इसको गंभीरता से पब्लिक हेल्थ का मुद्दा मानते हुए संबंधित समूह में इसको रोकने के लिए समन्वित प्रयास की जरूरत है।