इन चुनौतियों से पाना है पार
1. आने वाले साल में इलेक्ट्रिक फ्लाइंग टैक्सी से जुड़े तमाम स्टार्टअप्स को साबित करना होगा कि उनके विमानों का दुनिया में एक बहुत बड़ा बाजार है।
2. बैटरियां सबसे बड़ी समस्या बनी हुई हैं, जो महंगी और भारी होने से इन विमानों के लाभ को सीमित कर सकती हैं।
3. वाणिज्यिक परिचालन शुरू करने से पहले ईवीटीओएल को वाणिज्यिक एयरलाइनरों की तरह ही पैसेंजरों की सुरक्षा को सुनिश्चित करनी होगी।
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भारत भी तलाश रहा शहरों में संभावनाएं
देश में अर्बन एयर मोबिलिटी (यूएएम) की मांग शहरी भीड़भाड़, क्षेत्रीय कनेक्टिविटी की कमी और ई-कॉमर्स को अपनाने से जुड़ी है। ट्रैफिक से भारतीय अर्थव्यवस्था को मुंबई, बेंगलूरु, कोलकाता और दिल्ली में लगभग 1.44 ट्रिलियन रुपए का नुकसान होता है। यह देश में यूएएम की अपार संभावनाओं को बढ़ाती है। भारत ईवीटीओएल विमान निर्माताओं को आमंत्रित करने की संभावना तलाश रहा है। ईवीटीओएल के लिए 162 संभावित मार्गों की पहचान हुई है। इसी साल की शुरुआत में बेंगलूरु में भारत में बनी इलेक्ट्रिक एयर टैक्सी का प्रोटोटाइप भी पेश किया गया था।
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ब्राजील से लेकर इजराइल तक दौड़ में
फ्रांस में दो सीटों वाला इलेक्ट्रिक विमान वोलोसिटी आने वाले समय में पेरिस की सैर कराएगा। ब्राजील की कंपनी एम्ब्रेयर इलेक्ट्रिक फ्लाइंग टैक्सियों के निर्माण के लिए साओ पाउलो के पास नई फैक्ट्री लगाएगी। संभावना है कि 2026 से यहां फ्लाइंग टैक्सियां उड़ान भरने लगेंगी। अमरीका व चीन की 2025 तक कमर्शियल फ्लाइंग टैक्सी शुरू करने की योजना है। सुपर साइज्ड ड्रोन जैसे दिखने वाले इन विमानों की दौड़ में हाल में इजराइल भी शामिल हो गया है। इजराइल ने ऑटोनोम्स ड्रोन का परीक्षण शुरू कर दिया है, जो यात्रियों और माल दोनों को ले जाने में सक्षम है।