करीब 25 वर्ष के लंबे इंतजार के बाद देश की सबसे बड़ी हाइड्रो पावर सुबनसिरी लोअर जलविद्युत परियोजना की मार्च 2025 में शुरूआत होने जा रही है। परियोजना की 250-250 मेगावाट की तीन इकाइयां पहले चरण में शुरू होंगी। इससे राजस्थान, मध्यप्रदेश और उत्तर पूर्व सहित 17 राज्यों में बिजली का आवंटन होगा। परियोजना के कार्यकारी निदेशक प्रमुख राजेंद्र प्रसाद ने दावा किया कि इस परियोजना में अब तक आई सभी बाधाओं को दूर कर लिया गया है। गौरतलब है कि एनजीटी ने इस परियोजना के क्रियान्वयन में कई बाधाएं बताई थी। जिसके कारण वर्ष 2011 के बाद से इस प्रोजेक्ट पर संकट मंडरा रहा था। लेकिन 2019 के बाद सभी अड़चने दूर होने के बाद आसाम और अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर सुबनसिरी नदी पर बने डेम पर इन दिनों तेज गति से काम चल रहा है। पॉवर प्लांट का काम करीब 90 प्रतिशत पूरा हो चुका है।
यह बाईड्रॉप पावर परियोजना है, जिसकी स्थापित क्षमता 2000 मेगावाट है। प्रत्येक इकाई की क्षमता 250 मेगावाट है। परियोजना के अंतर्गत 8 इकाइयां स्थापित की जाएगी। जिसमें 2000 मेगावाट बिजली आवंटन किया जाएगा। इसके अंतर्गत असम में 533 मेगावाट, अरुणाचल प्रदेश 274, अन्य उत्तर पूर्वी राज्य मणिपुर, मेघालय, नागालैंड, त्रिपुरा और मिजोरम में 198, उत्तरी राज्य हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, चंडीगढ़ में 387, पश्चिमी राज्य गुजरात, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और गोवा में 613 मेगावाट बिजली का आवंटन किया जाएगा। इसकी अनूठी विशेषता यह है कि इसमें 8 लेन के प्रेशर शाफ्ट हैं।
हरी-भरी वादियां.. “मरे हुए पहाड़”
यूं तो भारत के अधिकांश राज्य किसी ना किसी रूप में प्राकृतिक, ऐतिहासिक और पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। लेकिन उत्तर पूर्व दिशा में अरुणाचल प्रदेश ऐसा राज्य है। जहां की प्राकृतिक खूबसूरती यहां कदम रखते ही आकर्षित करती है। दो साल पहले ही अस्तित्व में आए यहां के डोनी पोलो एयरपोर्ट पहुंचते ही यह स्पष्ट हो गया कि इस खूबसूरत प्रदेश को आजादी के बाद विकास की कदमताल में अन्य राज्यों से पीछे ही रहना पड़ा। एयरपोर्ट से टैक्सी में सवार हुए तो सड़क के किनारे पहाड़ों के पत्थर के बजाय मिट्टी के होने का अहसास हुआ। गुवाहाटी निवासी टैक्सी ड्राइवर कैलास दास ने बातचीत में बताया कि इन्हें मरे हुए पहाड़ कह सकते हैं। जो पत्थर के बजाय अब मिट्टी का रूप ले चुके हैं। इसका तात्पर्य पूछने पर उसने बताया कि इसे बोलचाल की भाषा में कहा जाता है। ये दिखते पत्थर जैसे हैं। अरूणाचल प्रदेश 25 जिलों वाला राज्य हैं और तीन देशों चीन, बर्मा और म्यांमार की अंतरराष्ट्रीय सीमा से जुडा हुआ है।
यह भी पढ़ें