दिल्ली में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी ( Aam Aadmi Party )सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट को इस बारे में सूचित किया है। मंदिर तोड़े जाने के दौरान किसी तरह का कोई बवाल नहीं है, इसकी भी पूरी तैयारी की गई है।
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मंदिर को तोड़ने के बाद इस मामले में अगली सुनवाई आगामी आठ अक्टूबर को होगी। यानी अगले चार दिन में दिल्ली सरकार को मंदिर तोड़ने से संबंधित पूरी जानकारी कोर्ट को मुहैया करवानी होगी।
मंदिर को तोड़ने के बाद इस मामले में अगली सुनवाई आगामी आठ अक्टूबर को होगी। यानी अगले चार दिन में दिल्ली सरकार को मंदिर तोड़ने से संबंधित पूरी जानकारी कोर्ट को मुहैया करवानी होगी।
ये है पूरा मामला
एक भवन मालिक ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, उसमें कहा था कि वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान किसी ने भीष्म पितामह मार्ग पर फुटपाथ पर अवैध रूप से एक मंदिर का निर्माण कर लिया है। इसकी वजह से उनके बिल्डिंग का रास्ता बाधित हो रहा है।
एक भवन मालिक ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, उसमें कहा था कि वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान किसी ने भीष्म पितामह मार्ग पर फुटपाथ पर अवैध रूप से एक मंदिर का निर्माण कर लिया है। इसकी वजह से उनके बिल्डिंग का रास्ता बाधित हो रहा है।
यही नहीं उन्हें आवागमन में परेशानी हो रही है। याचिका में उन्होंने अवैध निर्माण को ध्वस्त करने की मांग की थी। याचिकाकर्ता की इस अर्जी पर सुनवाई कर रही दिल्ली हाई कोर्ट की न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया। नोटिस में दिल्ली सरकार, डीसीपी (दक्षिणी जिला) से जवाब मांगा गया। अधिकारियों को एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था।
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कोर्ट में सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार और डीसीपी (दक्षिणी जिला) का पक्ष रख रहे अधिवक्ता अनुपम श्रीवास्तव ने पीठ से कहा कि अधिकारी अपने कर्तव्य के प्रति सचेत हैं और पहले ही उस स्थल पर अवैध निर्माण को चार अक्टूबर को ध्वस्त करने की योजना हैं।
कोर्ट में सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार और डीसीपी (दक्षिणी जिला) का पक्ष रख रहे अधिवक्ता अनुपम श्रीवास्तव ने पीठ से कहा कि अधिकारी अपने कर्तव्य के प्रति सचेत हैं और पहले ही उस स्थल पर अवैध निर्माण को चार अक्टूबर को ध्वस्त करने की योजना हैं।
पुलिस इस कार्य में लोक निर्माण विभाग ( PWD ) को जरूरी मदद करेगी। पीठ ने इस मामले में उस व्यक्ति को भी नोटिस जारी किया, जिसने यह अवैध निर्माण किया है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान यह इस तरह का अलग मामला है, जिसमें राह में बाधा बने मंदिर को तोड़ने की इजाजत दिल्ली हाई कोर्ट की ओर से दी गई है।