टीडीएस-टीसीएस के ये नियम बदले
किराया भुगतान पर कम टीडीएस: बजट में किसी व्यक्ति या एचयूएफ की ओर से एक माह या उसके कुछ हिस्से के लिए किराए के तौर पर 50,000 रुपए से अधिक के भुगतान पर टीडीएस की दर को पहले के 5% से घटाकर 2% करने का प्रस्ताव किया गया है। कई परिवार, खासकर सेवानिवृत लोग किराए की आय पर निर्भर रहते हैं। Tax घटने की वजह से उनके हाथ में किराए का ज्यादा पैसा आएगा। यह बदलाव 1 अक्टूबर 2024 से प्रभावी होगा।
अचल संपत्ति की बिक्री पर टीडीएस: 50 लाख रुपए से अधिक कीमत की आवासीय संपत्ति के खरीदार को चुकाई जाने वाली कीमत का 1त्न हिस्सा टीडीएस काटना होता है। हालांकि, पहले इस तरह के लेनदेन में टीडीएस से बचने के लिए खरीदार या विक्रेता के हिस्से को विभाजित करके बनाया जा सकता था। बजट में स्पष्ट किया गया है कि 50 लाख रुपए से अधिक कीमत की अचल संपत्ति पर टीडीएस काटा जाना चाहिए भले ही संपत्ति में विक्रेताओं या संयुक्त मालिकों की संख्या कितनी भी हो।
वेतनभोगी कर्मियों के लिए क्रेडिट
नियोक्ताओं की टीडीएस कटौती के साथ वेतनभोगी लोगों को अन्य लेनदेन के तहत उनसे लिए जाने वाले टीसीएस का भी सामना करना पड़ता है। बजट में प्रस्ताव किया गया है कि 1 अक्टूबर से वेतन पर टीडीएस कटौती करते समय कर्मचारी से एकत्र किए गए सभी टीसीएस और अन्य टीडीएस की गणना की जा सकती है। यह वेतनभोगी लोगों के लिए फायदेमंद होगा।
नाबालिग के लिए TCS क्रेडिट
नाबालिग बच्चे की आय को आयकर के लिहाज से माता-पिता की आय के साथ जोड़ा हुआ है। लेकिन नाबालिग बच्चे की आय से एकत्रित टीसीएस के क्रेडिट को माता-पिता अपनी कर-देयता की गणना करते समय उपयोग नहीं कर सकते। यदि बच्चे की आय माता-पिता के साथ जुड़ी हुई है तो 1 जनवरी, 2025 से वे अपने नाबालिग बच्चे के टीसीएस पर दावा कर सकेंगे।
रेंटल इनकम को लेकर ऐलान
अभी तक मकान मालिक के पास किराए से हुई इनकम को ‘बिजनेस या प्रोफेशन से होने वाली प्रॉफिट’ के तहत दिखाने का ऑप्शन था। यानी जिस रकम पर टैक्स लगाया जाना है, उसे निर्धारित करने के लिए मकान मालिक कुल आय से अपने खर्चों को घटा सकते हैं। यानी मकान मालिक ये दिखा सकते थे कि उनके इस बिजनेस से घाटा हो रहा है। यानी जितना किराया आ रहा है, उससे ज्यादा खर्च हो जाता है। ऐसे में उनका पूरा टैक्स बच जाता था। अब वित्त मंत्री ने इस पर नकेल कसी है।
यह है नया नियम
अब मकान मालिकों को अपने घर के किराए से हुई कमाई को इनकम फ्रॉम हाउस प्रॉपर्टी के तहत दिखाना पड़ेगा। इसका मतलब यह है कि किसी भी व्यक्ति को अपनी होम प्रॉपर्टी यानी किराए से हुई पूरी इनकम पर टैक्स देना पड़ेगा। यानी वे खर्च दिखाकर टैक्स छूट नहीं ले सकेंगे। नया नियम 1 अप्रेल, 2025 से लागू होगा और मूल्यांकन वर्ष 2025-26 और उसके बाद के मूल्यांकन वर्षों के लिए लागू होगा।
मकान मालिक ऐसे बचा सकेंगे टैक्स
इनकम फ्रॉम हाउस प्रॉपर्टी के तहतमकान मालिकों के पास कुछ तरह की टैक्स छूट होगी। वे संपत्ति की नेट वैल्यू यानी एनएवी पर 30% स्टैंडर्ड डिडक्शन ले सकेंगे। स्टैंडर्ड डिडक्शन का मतलब है कि सरकार आपको कई तरह के ऐसे खर्चों पर छूट देती है, जो आमतौर पर रोजाना होते रहते हैं। इसके लिए सरकार कोई प्रूफ नहीं मांगती है। इसके अलावा मकान मालिकों के पास टैक्स बचाने का जो दूसरा जो बड़ा ऑप्शन होगा वह है लोन पर लगने वाला ब्याज। अगर आपने लोन लेकर प्रॉपर्टी खरीदी है या घर बनवा रहे हैं, तो उसे चुकाने के लिए जो ब्याज देंगे, उसपर टैक्स नहीं लगेगा।