बता दें कि चंद्रशेखरन का जन्म तमिलनाडु में सन् 1963 में हुआ था। साधारण परिवार में जन्मे चंद्रशेखरन ने सरकारी स्कूल से पढ़ाई की। फिर उन्होंने कोयंबतूर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने तिरुचरापल्ली के रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज से एमसीए किया। उन्होंने आईएएम-कोलकत्ता से एमबीए की पढ़ाई भी की है। उन्होंने 1987 में टीसीएस में नौकरी शुरू की।
चंद्रशेखरन को ‘मैराथन मैन’ कहा जाता है। उन्हें टाटा समूह में काम करने का करीब 35 साल का अनुभव है। इसका फायदा उन्हें बतौर चैयरमैन अपने पहले कार्यकाल में मिला। उन्होंने टाटा समूह की कंपनियों के रेवेन्यू में जबर्दस्त इजाफा किया।
वित्त वर्ष 2020-21 इस समूह का रेवेन्यू करीब 103 अरब डॉलर रहा। टाटा संस का चैयरमैन बनने से पहले चंद्रशेखरन टीसीएस के प्रमुख थे। फिर टाटा संस का चैयरमैन बनने के बाद उन्होंने पूर्व चेयरमैन सायरस मिस्त्री से चल रहे कंपनी के विवाद को सफलतापूर्व निपटाया।
टीसीएस को चंद्रशेखरन ने देश की सबसे बड़ी कंपनी बना दी है। इसके और रिलायंस इंडस्ट्रीज के बाजार पूंजीकरण के बीच फर्क बहुत कम रह गया है। पिछले कुछ सालों में टाटा मोटर्स के प्रदर्शन में भी बहुत सुधार आया है। बताया जाता है कि इसमें चंद्रशेखरन का बड़ा योगदान है। उन्होंने टाटा मोटर्स को देश की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक कार कंपनी बनाने का लक्ष्य रखा है। चंद्रशेखरन मुंबई में रहते हैं। उनकी पत्नी का नाम ललिता चंद्रशेखरन है। उनका एक बेटा है, जिनका नाम प्रणव चंद्रशेखरन है।
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टाटा समूह देश का सबसे बड़ा बिजनसे घराना है। इसमें दो दर्जन से ज्यादा सूचीबद्ध कंपनियां हैं। टीसीएस, टाटा मोटर्स, टाटा स्टील, टाटा केमिकल इस समूह की बड़ी कंपनियां है। टाटा संस के चेयरमैन का पद बहुत अहम है, क्योंकि वह टाटा समूह की कंपनियों का भी प्रमुख होता है। उनकी बिजनेस ग्रोथ, स्ट्रेटेजी जैसे फैसलों में उसका सबसे बड़ा योगदान होता है।