देश की शीर्ष अदालत में गुरुवार को जिन अहम मुद्दों पर सुनवाई होना है उनमें मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट को लेकर प्रवर्तन निदेशालय को दी गई शक्ति की वैधता को सही ठहराए जाने के खिलाफ दायर याचिका प्रमुख रूप से शामिल है।
दरअसल, 2018 में सरकार ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट में प्रवर्तन निदेशालय को विशेष ताकत दी थी। इसके खिलाफ कांग्रेस नेता कार्ति चिदंबरम ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
शीर्ष अदालत ने पिछले महीने की 27 तारीख को ईडी के अधिकारों और प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए कहा था ईडी को गिरफ्तारी का अधिकार है। इसके बाद कार्ति चिदंबरम ने ईडी की शक्तियों को बरकरार रखने के फैसले पर फिर से विचार करने के लिए याचिका दाखिल की थी। इस पर आज सुनवाई हो रही है।
वर्ष 2002 गुजरात दंगे के दौरान बिलकिस बानो गैंगरेप केस में दोषियों की रिहाई मामले पर सुनवाई हो रही है। इसमें 2008 में कोर्ट ने दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर राज्य सरकार ने एक कमिटी का गठन किया, कमिटी ने इन दोषियो को छोड़े जाने की सिफारिश की।
राज्य सरकार ने दोषियों को जेल से रिहा किया और देश भर में इस मामले में आलोचना हुई। सुप्रीम कोर्ट में फिर यह पहुंचा। अदालत इस मामले में सुनवाई कर रहा है कि राज्य सरकार के दोषियों को छोड़ने का फैसला सही है या नहीं।
भारत के राजनेताओं, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की जासूसी किए जाने वाले पेगासस जासूसी केस में भी सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है। इस मामले में सरकार पर आरोप लगाया गया था कि सरकार पेगासस स्पाईवेयर के जरिए लोगों की जासूस कर रही है।
सर्वोच्च अदालत ने जांच कर रही टेक्निकल कमेटी को मई में 4 सप्ताह का समय दिया था। रिपोर्ट में कमेटी को बताना है कि क्या लोगों के फोन या अन्य डिवाइस में जासूसी करने के लिए पेगासस स्पाईवेयर डाला गया था। आज इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रमना और जस्टिस सूर्यकांत और हिमा कोहली की बेंच करेगी।
इसके साथ ही पंजाब के बठिंडा में पीएम मोदी की सुरक्षा में हुई चूक मामले में भी सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई होना है। एयरपोर्ट से हुसैनीवाला शहीद स्मारक में एक रैली को संबोधित करने जा रहे पीएम के काफिला एक फ्लाइओवर पर 20 मिनट तक रोका गया था।
वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने प्रधानमंत्री की सुरक्षा में हुई चूक का मामला मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन्ना की बेंच के सामने उठाया था। सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस इंदु मल्होत्रा की अध्यक्षता में जांच कमेटी का गठन किया था।
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