राज्य में किसी भी जगह प्रसारण पर रोक न लगे
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से कहा है कि राज्य में किसी भी जगह श्री राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से जुड़े किसी समारोह की इजाजत देने से सिर्फ इस आधार पर इंकार न किया जाए कि वहां नजदीक में अल्पसंख्यक समुदाय के लोग रहे हैं। सुप्रीम ने ये निर्देश तमिलनाडु सरकार पर श्रीराम मंदिर प्रतिष्ठा समारोह के लाइव प्रसारण पर बैन लगाने का आरोप लगाने वाली याचिका की सुनवाई के दौरान दिया।
वहीं, तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इस तरह का कोई प्रतिबंध नहीं है और आज अयोध्या में भगवान राम की “प्राण प्रतिष्ठा” के अवसर पर पूजा, अर्चना, अन्नधनस्म, भजनों के सीधे प्रसारण पर कोई प्रतिबंध नहीं है और याचिका सिर्फ राजनीति से प्रेरित है।
पुलिस मंदिरों में पूजा से लगा रही रोक
बता दें कि केंद्रीय वित्त मंत्री ने आरोप लगाया था कि तमिलनाडु में श्री राम के 200 से अधिक मंदिर हैं। HR&CE प्रबंधित मंदिरों में श्री राम के नाम पर किसी भी पूजा/भजन/प्रसादम/अन्नदानम की अनुमति नहीं है। पुलिस निजी तौर पर संचालित मंदिरों को भी कार्यक्रम आयोजित करने से रोक रही है। वे आयोजकों को धमकी दे रहे हैं कि वे पंडाल तोड़ देंगे. इस हिंदू विरोधी, घृणित कार्रवाई की कड़ी निंदा करती हूं।डीएमके का आया बयान
वहीं, तमिलनाडु के हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्त मंत्री पीके शेखर बाबू ने आरोपों पर निंदा की है। उन्होंने कहा, ‘सेलम में डीएमके युवा सम्मेलन से लोगों का ध्यान हटाने के प्रयास में असत्य जानकारी फैलाने की कड़ी निंदा करता हूं। हिंदू धार्म और धर्मार्थ बंदोबस्त विभाग ने तमिलनाडु के मंदिरों में भक्तों को भोजन चढ़ाने, श्री राम के नाम पर पूजा करना या प्रसाद वितरित करने की स्वतंत्रता पर कोई रोक नहीं लगाई है।गलत जानकारी फैलाने की कोशिश
उन्होंने आगे कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण और अन्य जैसे कार्यालय में बैठे लोग जानबूझकर इस गलत जानकारी का प्रचार कर रहे हैं।