राष्ट्रीय

Supreme Court : अदालतें भूल गई कि जमानत खारिज कर नहीं दी जा सकती है सजा: सुप्रीम कोर्ट

Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट व निचली अदालतों के रवैये पर अफसोस जताया है। कोर्ट ने जमानत देते हुए कहा कि आरोप तय नहीं हो पाने के बावजूद आरोपी चार साल से जेल में है।

नई दिल्लीJul 06, 2024 / 11:06 am

स्वतंत्र मिश्र

Supreme court

Legal News in Hindi : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने जमानतों की पैरवी करते हुए अफसोस प्रकट किया कि देश में हाईकोर्ट और निचली अदालतें यह भूल गई हैं कि सजा के तौर पर जमानत देने से इनकार नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने अवांछित गतिविधि रोकथाम कानून (UAPA) के एक उस आरोपी को जमानत देते हुए यह टिप्पणी की जिस पर कोर्ट ने आरोप भी तय नहीं किए और वह चार साल से जेल में है।

‘अपराध कितना भी गंभीर हो लेकिन आरोपी…’

जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने कहा कि अपराध कितना भी गंभीर क्यों न हो, आरोपी को संविधान के तहत त्वरित सुनवाई का अधिकार है। ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्टों को जमानत के मुद्दों पर निर्णय लेते समय त्वरित सुनवाई और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के पक्ष को कमजाेर नहीं करना चाहिए। अपराध की गंभीरता के बावजूद जमानत देने से इनकार करने का दंडात्मक तंत्र नहीं हो सकता।

कोर्ट ने बताया क्यों दी जाती है जमानत

कोर्ट ने कहा कि जमानत की जरूरत कैदी को सिर्फ मुकदमे में हाजिरी सुनिश्चित करने के लिए है, इसे सजा के तौर पर नहीं रोका जाना चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्य का इरादा अभियुक्त के शीघ्र सुनवाई के अधिकार की रक्षा करने का नहीं है तो वह जमानत याचिका पर आपत्ति नहीं कर सकता।
ये भी पढ़ें ‘Aadhaar card नागरिकता और निवास का प्रमाण नहीं’, हाई कोर्ट में आधार के UIDAI ने दी ये दलील

संबंधित विषय:

Hindi News / National News / Supreme Court : अदालतें भूल गई कि जमानत खारिज कर नहीं दी जा सकती है सजा: सुप्रीम कोर्ट

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.