कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा, इस तरह से आवेदन न करें। जस्टिस एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से दायर याचिका पर नाराजगी भी जताई। यह भी पढ़ेंः West Bengal: ममता बनर्जी की कुर्सी पर संकट! समय पर नहीं हुए उपचुनाव तो बढ़ेगी मुश्किल ममता सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। डीजीपी की नियुक्ति में यूपीएससी की भूमिका के खिलाफ ममता सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। इसी अर्जी को लेकर सर्वोच्च न्यायाल ने शुक्रवार को खारिज कर दिया। जस्टिस एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने नाराजगी जताते हुए कोई भी आदेश जारी करने से इंकार कर दिया।
वहीं ममता सरकार की ओर से पेश सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि हम सिर्फ अपने राज्य में DGP की नियुक्ति चाहते हैं। ये था सरकार का पक्ष
सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर ममता सरकार ने जो अपना पक्ष रखा था उसके मुताबिक, सरकार ने कहा था कि हम राज्य डीजीपी की नियुक्ति चाहते हैं। UPSC के पास न तो अधिकार क्षेत्र है और न ही उसमें किसी राज्य के डीजीपी पर विचार करने और नियुक्त करने की विशेषज्ञता है।
सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर ममता सरकार ने जो अपना पक्ष रखा था उसके मुताबिक, सरकार ने कहा था कि हम राज्य डीजीपी की नियुक्ति चाहते हैं। UPSC के पास न तो अधिकार क्षेत्र है और न ही उसमें किसी राज्य के डीजीपी पर विचार करने और नियुक्त करने की विशेषज्ञता है।
दरअसल पश्चिम बंगाल में 1986-बैच के एक आईपीएस (IPS) अधिकारी को राज्य के कार्यवाहक डीजीपी के रूप में नामित किया गया है। नए डीजीपी के चयन को लेकर राज्य और यूपीएससी के बीच खींचतान चल रही है। ऐसे में कार्यवाहक डीजीपी नामित होने के एक दिन बाद ममता सरकार सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
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ये है पूरा मामला
ममता सरकार ने कहा है कि यूपीएससी ने पद के लिए सुझाए गए नामों की बंगाल सरकार की सूची में कई खामियां निकाल दी हैं, जो भारतीय संघीय शासन प्रणाली के अनुरूप नहीं है।
ये है पूरा मामला
ममता सरकार ने कहा है कि यूपीएससी ने पद के लिए सुझाए गए नामों की बंगाल सरकार की सूची में कई खामियां निकाल दी हैं, जो भारतीय संघीय शासन प्रणाली के अनुरूप नहीं है।
कोर्ट में दायर अपनी अर्जी में सरकार ने कहा कि, केंद्र और राज्य सरकारें एक अच्छी तरह से परिभाषित क्षेत्र में समन्वय से काम करती हैं लेकिन, उसी समय वो एक दूसरे से स्वतंत्र होती हैं।
बंगाल सरकार के वकील लूथरा ने पीठ को बताया कि राज्य में एक नियमित डीजीपी नहीं है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने एक कार्यवाहक पुलिस प्रमुख की नियुक्ति पर रोक लगाई है।