पेरारीवलन का आदेश सब पर लागू सुप्रीम कोर्ट न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और बीवी नागरत्ना ने दोषियों को रिहा करने का आदेश पारित किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहाकि, पेरारीवलन से संबंधित अदालत का आदेश मामले के अन्य सभी दोषियों पर लागू होता है और यह भी कहा गया है कि, तमिलनाडु ने मामले के सभी दोषियों को रिहा करने की सिफारिश की थी।
6 दोषी होंगे रिहा आजीवन कारावास की सजा काट रहे नलिनी और आरपी रविचंद्रन सहित छह दोषियों के बारे में सुप्रीम कोर्ट ने कहाकि, जेल में अच्छे आचरण के कारण रिहाई का आदेश दिया जा रहा है। राजीव गांधी हत्याकांड में नलिनी, रविचंद्रन, मुरुगन, संथन, जयकुमार, और रॉबर्ट पॉयस को रिहा करने के आदेश दिया है। पेरारिवलन पहले ही इस मामले में रिहा हो चुके हैं।
दोषी नलिनी को सोनिया गांधी ने माफ किया था जब नलिनी को राजीव गांधी की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, तब वह गर्भवती थी। उसकी प्रेग्नेंसी को दो महीने हो गए थे। तब सोनिया गांधी ने नलिनी को माफ कर दिया था। उन्होंने कहा था कि नलिनी की गलती की सजा एक मासूम बच्चे को कैसे मिल सकती है, जो अब तक दुनिया में आया ही नहीं है।
राजीव गांधी हत्याकांड मामला राजीव गांधी हत्या मामले में ट्रायल कोर्ट ने साजिश में शामिल 26 दोषियों को मृत्युदंड दिया था। मई 1999 में सुप्रीम कोर्ट ने 19 लोगों को रिहा कर दिया। सात में से चार आरोपियों (नलिनी, मुरुगन उर्फ श्रीहरन, संथन और पेरारिवलन) को मृत्युदंड सुनाया गया। और बाकी (रविचंद्रन, रॉबर्ट पायस और जयकुमार) को उम्रकैद। चारों की दया याचिका पर तमिलनाडु के राज्यपाल ने नलिनी की मृत्युदंड को उम्रकैद में बदला। बाकी आरोपियों की दया याचिका 2011 में राष्ट्रपति ने ठुकरा दी थी।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय अस्वीकार्य और पूरी तरह से गलत – जयराम रमेश कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से असहमति जताते हुए कहाकि, पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के अन्य हत्यारों को मुक्त करने का SC का निर्णय अस्वीकार्य और पूरी तरह से गलत है। कांग्रेस इसकी आलोचना करती है और इसे पूरी तरह से अक्षम्य मानती है। दुर्भाग्यपूर्ण है कि SC ने भारत की भावना के अनुरूप काम नहीं किया।