शीर्ष अदालत ने पोश कानून को प्रभावी तरीके से लागू कराने के लिए सभी सरकारी और गैर-सरकारी कार्यालयों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में आंतरिक शिकायत समितियों (आइसीसी) व जिला स्तर पर स्थानीय परामर्श समितियों (एलसीसी) का गठन करने और शी बॉक्स पोर्टल बनाने का निर्देश दिया जहां महिलाएं शिकायत कर सकती हैं। सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र (एमिकस क्यूरी) पद्म प्रिया ने राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (एनएएलएसए) के अंतर्गत स्थापित मौजूदा तंत्र की जानकारी दी।
स्टेटस रिपोर्टः निजी क्षेत्रों ने नहीं दिखाई रुचि
अधिवक्ता पद्म प्रिया ने अदालत को बताया कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों (डीएलएसए) से जुड़ा हेल्पलाइन नंबर (15100) स्थापित है। पीड़ितों को ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराने की सुविधा दी गई है और महिला वकील उपलब्ध कराए जा रहे हैं। केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ऐश्वर्या भाटी ने शीबॉक्स पोर्टल के बारे में अपडेट कराया और कहा कि निजी क्षेत्र इससे दूर हैं। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि निजी क्षेत्र के नियोक्ता निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं।
शीर्ष दिशा-निर्देशः-
1- 31 दिसंबर, 2024 तक प्रत्येक जिले में एक जिला अधिकारी नियुक्त करना होगा। 2- जिला अधिकारी 31 जनवरी, 2025 तक स्थानीय शिकायत समिति (एलसीसी) का गठन करेंगे। 3- तालुका स्तर पर नोडल अधिकारी की नियुक्ति की जाए। 4- नोडल अधिकारी, एलसीसी और आइसीसी का विवरण शीबॉक्स पोर्टल पर अपलोड करें। 5- जिला मजिस्ट्रेट शिकायत समितियों का सर्वेक्षण कर रिपोर्ट पेश करेंगे। 6- आइसीसी के गठन के लिए निजी क्षेत्र के हितधारकों के साथ जुड़ना होगा।
7- स्थानीय स्तर पर ‘शीबॉक्स’ पोर्टल बनाना होगा। 8- शिकायतों को संबंधित आइसीसी या एलसीसी को निर्देशित किया जाएगा। 9- सभी सरकारी विभागों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में आइसीसी का गठन सुनिश्चित करें।
10- 31 मार्च, 2025 तक कोर्ट के निर्देशों का पालन सुनिश्चित करें। मुख्य सचिव इसकी निगरानी करेंगे।
पिछले साल भी लगाई थी फटकार
इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय ने मई 2023 के एक फैसले में इस बात पर कड़ी आपत्ति जताई थी कि 2013 में पोश कानून लागू होने के एक दशक बाद भी इसके अनुपालन में खामियां बनी हुई हैं। उस समय भी शीर्ष कोर्ट ने सभी पदाधिकारियों को इसे कानून को अक्षरशः लागू करने के लिए बाध्य करने का निर्देश दिया था। तब अधिवक्ता पद्म प्रिया को एमिकस क्यूरी नियुक्त करते हुए अदालत ने कहा था कि कानून के पीछे का उद्देश्य वास्तविक रूप में हासिल होना चाहिए।
अधिकारियों का रवैया सकारात्मक नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि यदि कानून का पालन कराने की व्यवस्था का कड़ाई से पालन नहीं किया जाता और अधिकारी सकारात्मक रूख नहीं अपनाते हैं तो पोश कानून कभी सफल नहीं होगा और महिलाओं को कार्यस्थल पर वह सम्मान नहीं मिल पाएगा जिसकी वे हकदार हैं। कोर्ट ने कानून का अनुपालन सुनश्चित करते हुए इस संबध में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था।