तीन महीने के अंदर करवाए लंबित जांचें
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की इस दलील पर कि अडानी समूह की कंपनियों के खिलाफ आरोपों से संबंधित 24 जांचों में से 22 को पहले ही अंतिम रूप दिया जा चुका है, पीठ ने बाजार नियामक को तीन महीने में लंबित दो जांचें पूरी करने के लिए कहा। पीठ में जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल थे।
जानिए सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
शीर्ष अदालत ने कहा कि संगठित अपराध और भ्रष्टाचार रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (ओसीसीआरपी) और हिंडनबर्ग रिसर्च जैसे तीसरे पक्ष के संगठनों द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट को “निर्णायक सबूत” नहीं माना जा सकता। बता दें कि इससे पहले 24 नवंबर को इस मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने मार्केट रेग्यूलेटर सेबी की जांच और एक्सपर्ट्स कमेटी पर उठाए जा रहे सवालों को नकारते हुए अपना फैसला सुरक्षित रखा था।
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सत्य की जीत हुई है : गौतम अडानी
अडानी ग्रुप के चेयरपर्सन गौतम अडानी ने ट्वीट किया, सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पता चलता है कि सत्य की जीत हुई है। मैं उन लोगों का आभारी हूं जो हमारे साथ खड़े रहे। भारत की विकास गाथा में हमारा विनम्र योगदान जारी रहेगा।