दरअसल, इस मामले पर केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि ऐसे मामलों में जल्दबाजी फैसले नहीं लिए जा सकते हैं। इसलिए कोर्ट फिलहाल इसे अगले 4 हफ्तों के लिए टाल दे। इसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार तीन महीने का समय ले लेकिन कोई योजना तैयार करे, क्योंकि ये समस्या काफी गंभीर है, हम जानते हैं कि एक रात में कुछ नहीं बदलता है, पहले योजना बनानी पड़ती है और फिर उसपर अमल करना होता है।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विनीत सरन ने कहा कि ‘ये समस्या गंभीर है क्योंकि हम कोर्ट के गलियारों में आराम से चल भी नहीं सकते। गलियारे की भीड़ काफी डरावनी है। ऐसे में सरकार को इसपर योजना बनाने के लिए समय चाहिए तो हम 4 हफ्ते नहीं बल्कि 3 महीने दे रहे हैं। इस मामले पर हम 20 जुलाई को सुनवाई करेंगे। उससे पहले किसी ठोस योजना को तैयार कर लें या लेकर आयें।’
इस मामले पर याचिकाकर्ता अर्धेंदुमौली प्रसाद ने कहा कि केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल यहाँ मौजूद है इसलिए स आसानी से हो रहा है। उन्होंने ये भी कहा कि इसपर अभी काम शुरू हुआ है और अगले 5 साल तो लग ही जाएंगे। दरअसल, याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट के परिसर के नजदीक ज्यूडिशियल विस्टा विकसित किया जाए ताकि कोर्ट का इन्फ्रास्ट्रक्चर भी विकसित किया जा सके।
सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि वो इस मामले पर सरकार को आदेश या निर्देश नहीं दे सकते हैं केवल सलाह दे सकते हैं। अभी लिया गया ये फैसला अगले 100 सालों तक काम आएगा। अभी तो कोर्ट नंबर 9 तक सब ठीक है लेकिन उसके बाद के 8 कोर्ट का इंतजाम किसी तरह किया जा रहा है।
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