scriptDalit Student को IIT में एडमिशन नहीं देने पर Supreme Court ने सुनाया फैसला, ‘हम प्रतिभा को इस तरह बर्बाद नहीं होने दे सकते’ | Supreme Court gave this decision regarding Dalit student who lost admission due to delay in paying fees to IIT | Patrika News
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Dalit Student को IIT में एडमिशन नहीं देने पर Supreme Court ने सुनाया फैसला, ‘हम प्रतिभा को इस तरह बर्बाद नहीं होने दे सकते’

IIT Dhanbad: Supreme Court ने IIT मे एडमिशन खोले वाले दलित छात्र को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने आईआईटी धनबाद में दाखिले का आदेश दे दिया है।

नई दिल्लीSep 30, 2024 / 05:42 pm

Ashib Khan

supreme court of India

Supreme Court Of India

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को आईआईटी (IIT) में अपना एडमिशन खोने वाले दलित छात्र को बड़ी राहत दी है। दरअसल, छात्र 17,500 रुपये की ऑनलाइन एडमिशन फीस का भुगतान करने में कुछ मिनट लेट हो गया था। सुप्रीम कोर्ट ने IIT धनबाद में दाखिले का आदेश दे दिया है। छात्र अतुल यूपी के मुजफ्फरनगर का रहने वाला है, जिसको IIT धनबाद (IIT Dhanbad) में सीट मिली थी, लेकिन वह गरीबी के चलते एडमिशन फीस नहीं भर पाया था। 

SC ने IIT को दिया यह आदेश

दलित छात्र अतुल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। वहीं मुख्य न्यायाधिश डीवाई चंद्रचूड़ ने IIT को छात्र को दाखिला देने का आदेश देते हुए कहा कि हम ऐसे प्रतिभाशाली युवा लड़के को जाने नहीं दे सकते। उसे मझधार में नहीं छोड़ा जा सकता। वह झारखंड विधिक सेवा प्राधिकरण के पास गया, फिर चेन्नई विधिक सेवा प्राधिकरण के पास गया और फिर उसे उच्च न्यायालय भेज दिया गया। वह एक दलित लड़का है जिसे दर-दर भटकना पड़ रहा है।

उसे वंचित नहीं किया जाना चाहिए-SC

पीठ ने अपने आदेश में कहा कि हमारा मानना ​​है कि याचिकाकर्ता जैसे प्रतिभावान छात्र, जो वंचित समूह से आते हैं और जिन्होंने प्रवेश पाने के लिए सब कुछ किया है, तो उसे वंचित नहीं किया जाना चाहिए, हम निर्देश देते हैं कि उम्मीदवार को आईआईटी धनबाद में प्रवेश दिया जाए और उसे उसी बैच में रहने दिया जाए।

कोर्ट ने शक्तियों का किया इस्तेमाल

सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए आईआईटी धनबाद को अतुल कुमार को अपने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग बीटेक कोर्स में दाखिला देने के लिए कहा। संविधान का अनुच्छेद 142 शीर्ष अदालत को न्याय के हित में कोई भी आदेश पारित करने का अधिकार देता है।

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