जजों के रिश्तेदारों को हाईकोर्ट जज नहीं बनाने के सुझाव पर चर्चा
देश के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम में सीजेआइ के अलावा चार वरिष्ठतम जज जस्टिस बीआर गवई, सूर्यकांत, ऋषिकेश रॉय और एएस ओका शामिल हैं। चर्चा में आया कि मौजूदा या पूर्व जजों के निकट रिश्तेदारों को जज नहीं बनाने से उन्हें कोई नुकसान नहीं होगा क्योंकि वे वकालत से अच्छी प्रसिद्धि और समृद्धि हासिल कर सकते हैं। दूसरी ओर पहली पीढ़ी के योग्य लोगों को मौका देने से उच्च न्यायपालिका में पूल का विस्तार हाेगा और विविध समुदायों का प्रतिनिधित्व हो सकेगा। भारतीय विधि आयोग ने अंकल जज सिंड्रोम की चर्चा करते हुए 2009 में दी अपनी 230वीं रिपोर्ट में जजों के निकट रिश्तेदारों की जज पर नियुक्ति पर रोक की सिफारिश की थी। जज नियुक्ति से पहले ‘इंटरव्यू’
एक अन्य अहम बदलाव के तहत सीजेआइ खन्ना की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने पिछले दिनों पहली बार हाईकोर्ट में नियुक्त किए जाने वाले वकीलों और न्यायिक अधिकारियों के साथ बातचीत की है। सूत्रों के अनुसार नियुक्ति योग्य दावेदारों की क्षमता और योग्यता के आंकलन के लिए यह बातचीत की गई। पिछले दिनों इस बातचीत के बाद ही राजस्थान, इलाहाबाद और बॉम्बे हाईकोर्ट में जजों की नियुिक्त की सिफारिश की गई। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम केवल हाईकोर्ट कॉलेजियम की ओर से भेजे गए वकीलों और न्यायिक अधिकारियों के विस्तृत बायोडेटा, उनकी खुफिया रिपोर्ट, संबंधित राज्यपालों और मुख्यमंत्रियों की राय पर ही काम करता था। नई व्यवस्था से सुप्रीम कोर्ट को नए नियुक्त होने वाले जजों के सीधे आंकलन में मदद मिलेगी।