ये था मामला
याचिकाकर्ताओं का दावा है कि सुप्रीम कोर्ट के पिछले आदेश के बावजूद अधिकारियों ने उनके घरों को ध्वस्त कर दिया गया था। असम के महाधिवक्ता ने 20 सितंबर को गौहाटी उच्च न्यायालय को आश्वासन दिया था कि उनकी याचिकाओं का समाधान होने तक उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। यह मामला असम के कामरूप जिले के कचुटोली पथार गांव और आसपास के इलाकों में 47 घरों पर बुलडोजर की कार्रवाई से जुड़ा है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि वे मूल भूमिधारकों के साथ समझौते के तहत दशकों से वहां रह रहे हैं। आदिवासी भूमि के ‘अवैध कब्जेदारों’ के रूप में उनका कब्जा मौजूदा समझौतों के तहत वैध था।
‘बिना परमिशन के नहीं चलेगा बुलडोजर’- SC
सुप्रीम कोर्ट के 17 सितंबर के आदेश ने सार्वजनिक सड़कों, फुटपाथों, रेलवे लाइनों या जल निकायों पर अतिक्रमण से जुड़े मामलों को छोड़कर, पूर्व न्यायिक मंजूरी के बिना देश भर में विध्वंस पर रोक लगा दी। इसके बावजूद असम के अधिकारियों ने कथित तौर पर याचिकाकर्ताओं के घरों को बिना किसी नोटिस के विध्वंस के लिए चिह्नित किया, जिसके कारण वर्तमान अवमानना याचिका दायर की गई। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश देते हुए कहा था कि 1 अक्टूबर तक बिना हमारी अनुमति के देश में कहीं पर भी बुलडोजर एक्शन नहीं होग।