बताया जाता है कि आय से अधिक संपत्ति और टैक्स चोरी की शिकायत पर आयकर विभाग की टीम राठौर के बंगले पर पहुंची थी। बताया जाता है कि उनके घर से कई किलो सोना और करीब चार करोड़ रुपए नकद मिले हैं। 7 बेनामी कारें भी मिलने की बात बताई जा रही है।
राठौर परिवार का कई तरह का पुराना पैतृक कारोबार है। जानवर पालना परिवार का पुराना शौक रहा है। राठौर परिवार समय-समय पर यह दावा करता रहा है कि उनके पास वन्यजीवों के अवशेष व मगरमच्छ को लेकर सभी प्रकार के दस्तावेज हैं। वे इस बात की जानकारी 1980 व 90 के दशक में वन विभाग को दे चुके हैं, उसके बाद से कई बार उन्हें सूचना दी गई। नाम न छापने की शर्त पर स्थानीय लोगों ने बताया कि राठौर बंगला में 50-60 साल से मगरमच्छ पाले जा रहे हैं। पहले यहां पर छोटा चिडिय़ाघर भी था, जिसे देखने के लिए शहर भर से लोग जाते थे। उनके बंगले के कमरों की दीवारों पर भी जानवरों की खाल टंगी देखी जा सकती है।
बीड़ी से सोना तक का कारोबार
राठौर परिवार तोप छाप बीड़ी का कारोबार करता है। एक वक्त में इस बीड़ी की डिमांड कई राज्यों में थी। आज भी मप्र के बाहर यह बीड़ी चलती है। बीड़ी कारोबार के कारण राठौर परिवार की संपत्तियां गांव-गांव में फैल गईं। जगह-जगह बड़े गोदाम बनाए और कृषि योग्य भूमि भी खरीदी। बताया जाता है कि वर्तमान में राठौर परिवार के पास 1200 एकड़ से ज्यादा कृषि भूमि है। लोग बताते हैं कि सालों से यह परिवार सोना-चाँदी खरीद बिक्री का कारोबार भी करता रहा है। शराब और जायदाद के कारोबार में भी राठौर परिवार की भागीदारी बताई जाती है। बताया जाता है कि आयकर विभाग को पूर्व विधायक हरवंश सिंह राठौर के ठिकानों से 14 किग्रा सोना और 3.80 करोड़ की नकद राशि मिली। 9 किलो 800 ग्राम सोना विभाग ने जब्त किया है।