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Special Report : 1957 में यहीं पर हुई थी पहली बार बूथ कैप्चरिंग, लंबे समय तक मताधिकार के प्रति बेपरवाह रहे लोग

Lok Sabha Elections 2024 : बिहार में सोमवार को चौथे चरण का मतदान शांतिपूर्ण तरीके से सम्पन्न हो गया। लोग बेधड़क घर से निकले और लोकतंत्र को मजबूत बनाने में अपनी भूमिका निभाई। पढ़िए देवेंद्र गोस्वामी की विशेष रिपोर्ट …

नई दिल्लीMay 14, 2024 / 09:17 am

Shaitan Prajapat

Lok Sabha Elections 2024 : बिहार में सोमवार को चौथे चरण का मतदान शांतिपूर्ण तरीके से सम्पन्न हो गया। लोग बेधड़क घर से निकले और लोकतंत्र को मजबूत बनाने में अपनी भूमिका निभाई। हालांकि कुछ वर्ष पहले तक बिहार में चुनाव के दौरान बूथ कैप्चरिंग आम बात थी। ईवीएम आने के बाद से बूथ कैप्चर की घटना सुनाई नहीं देती।
रिकॉर्ड के अनुसार, देश में पहली बार बूथ कैप्चर करने की घटना बिहार में ही हुई थी। बात 1957 में बिहार विधानसभा चुनाव की है। बेगूसराय जिले के रचियाही गांव में पहली बार एक उम्मीदवार ने विपक्षी दल के समर्थन में मतदान करने आए लोगों को पहले रोका, फिर फर्जी तरीके से अपने पक्ष में वोटिंग करा ली थी। तब उस घटना को बूथ कैप्चरिंग का नाम दिया गया था। इसके बाद कई राज्यों में इसी अंदाज में फर्जी मतदान का सिलसिला शुरू हुआ। रचियाही में पिछड़े वर्ग के लोगों ने 90 के दशक में मतदान करना शुरू किया। इससे पहले तक तो मतदान केंद्र में आने से पहले ही उनके वोट पड़ जाते थे। कोई और उनका वोट डाल देता था।

1957 में क्या हुआ था

रचियाही में सत्येंद्र कुमार ने बताया कि 1957 में बिहार में विधानसभा का चुनाव हो रहा था। बेगूसराय जिले के टिहानी विधानसभा क्षेत्र में रचियाही गांव आता है। इस चुनाव में कांग्रेस और वामदल के बीच सीधा मुकाबला था। उस समय तीन बड़े गांव के लोग रचियाही वोट डालने आते थे। कांग्रेस की ओर से 1952 में चुनाव जीते सरयुग प्रसाद सिंह मैदान में थे। वहीं वामदल की ओर से चंद्रशेखर प्रसाद उम्मीदवार थे। सरयुग सिंह को आशंका थी कि तीन गांव से जुड़े लोग उन्हें वोट नहीं देंगे। इसी आशंका में उन्होंने अपने दबंग समर्थकों से लोगों को वोट डालने से रोकने के लिए कहा। यह घटना पूरे देश में सुर्खियों में रही। चुनाव आयोग ने भी तब माना था कि धांधली हुई थी।

गांव पर लगा धब्बा हटाने की कोशिश

रचियाही के मुखिया राकेश कुमार का कहना था कि बूथ कैप्चरिंग की पहली घटना ने गांव को बदनाम कर दिया था। उसके बाद से गांव के लोगों ने मिलकर इस धब्बे को हटाने का पूरा प्रयास किया। पहले लोग अपने मताधिकार को लेकर गंभीर नहीं थे। कोई और उनका वोट डाल देता था तब भी आपत्ति नहीं जताते थे। अब स्थिति बदल चुकी है। मतदान शुरू होने से पहले से लोग लाइन में लग जाते हैं।

मतदान के प्रति बढ़ रही जागरूकता

रचियाही के मुखिया राकेश कुमार ने बताया कि मतदान के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ी है। सुरक्षा व्यवस्था भी पुख्ता हुई है। अब इस गांव में 80 प्रतिशत से अधिक मतदान होता है। लोग अपने मताधिकार का उपयोग कर पा रहे हैं। राकेश कहते हैं कि मतदान के लिए उमड़ी भीड़ देखकर लोगों के उत्साह का अंदाजा लगाया जा सकता है। यह मतदान केंद्र अभी भी अतिसंवेदनशील की सूची में शामिल है। कई वर्षों से कोई विवाद नहीं हुआ है, फिर भी प्रशासन की ओर से एहतियात बरती जा रही है।

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