विधेयक के विरोध में कांग्रेस
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि कांग्रेस इस विधेयक का विरोध कर रही है क्योंकि यह संघीय ढांचे पर हमला है। उन्होंने कहा, “कांग्रेस पार्टी ने पहले ही अपना रुख साफ कर दिया है क्योंकि एक राष्ट्र एक चुनाव संघवाद पर हमला है और संसद में चुनाव प्रक्रिया पर चर्चा होनी चाहिए।” सीपीआई नेता डी राजा ने कहा कि भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में एक राष्ट्र, एक चुनाव जैसी अवधारणा संभव नहीं है। “भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ प्रस्ताव से सहमत नहीं है। वास्तव में, मैंने विधि आयोग और रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति के समक्ष अपनी पार्टी के विचार प्रस्तुत किए हैं। हमने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ अव्यावहारिक है। यह बिल्कुल भी संभव नहीं है।”
केंद्रीय मंत्रिमंडल से मिली मंजूरी
12 दिसंबर को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ को मंजूरी दी थी। जिससे इसे संसद में पेश किए जाने का रास्ता साफ हो गया। हालांकि, संसद में पेश किए जाने से पहले ही इस विधेयक पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच बहस शुरू हो गई। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कई दलों ने इस विधेयक का विरोध किया है। जबकि भाजपा और एनडीए गठबंधन दलों ने विधेयक का स्वागत किया है और कहा है कि इससे समय की बचत होगी और पूरे देश में एकीकृत चुनाव की नींव रखी जा सकेगी।
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव पर बोले अखिलेश यादव
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ चुनाव जीतने के लिए भाजपा का ‘जुगाड़’ है। एआईयूडीएफ विधायक और पार्टी महासचिव डॉ. रफीकुल इस्लाम ने इस विधेयक को प्रभावी ढंग से लागू करना “बहुत कठिन और असंभव” बताया और देश के विशाल और विविध राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए इसकी स्थिरता पर सवाल उठाया।