बुजुर्गों, महिलाओं, युवाओं का साथ मिला
वांगचुक ने कहा, “यह संतोष की बात है कि बुजुर्गों, महिलाओं और युवाओं सहित समाज के सभी वर्गों के लोग हमारी मांगों के समर्थन में इस मार्च में शामिल हुए हैं… संविधान की छठी अनुसूची और विधायिका के साथ केंद्र शासित प्रदेश हमारा लोकतांत्रिक अधिकार है क्योंकि हम अपनी इच्छाओं और आकांक्षाओं के अनुसार क्षेत्र का विकास और प्रबंधन चाहते हैं।” वांगचुक ने इससे पहले मार्च में मांगों के समर्थन में 21 दिनों की लंबी भूख हड़ताल की थी। उन्होंने कहा कि यह एक जन आंदोलन है और सरकार को बिना किसी दूसरे विचार के लद्दाखियों की मांगों को पूरा करना चाहिए। उन्होंने कहा, “हम पाकिस्तान और चीन के साथ सीमा साझा कर रहे हैं, जो अपनी तकनीक का बखान कर सकते हैं, लेकिन मैं अपने देश को बताना चाहता हूं कि भारतीयों को लद्दाख के लोगों पर गर्व होना चाहिए जो देश के लिए अपनी जान कुर्बान करने के लिए तैयार हैं।”
उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि हिमाचल प्रदेश के रास्ते दिल्ली तक जाने वाले मार्च में और अधिक लोग शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि लोग बहुत उत्साहित हैं, जिसका प्रमाण यह है कि स्विट्जरलैंड में रहने वाले 90 वर्षीय लद्दाख के नागरिक भी दिल्ली में उनके साथ शामिल होने के लिए तैयार हैं। साथ ही एक बुजुर्ग प्रतिभागी त्सेरिंग दोरजे भी इस मार्च में शामिल हुए हैं, और उन्होंने कहां कि उनका स्वास्थ्य उन्हें लगभग 1,000 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करने की अनुमति नहीं देगा, लेकिन “मैं जब तक संभव हो सकेगा, इस मार्च का हिस्सा बने रहने की कोशिश करूंगा”। “इस मार्च के माध्यम से हम यह संदेश देना चाहते हैं कि हम अपनी चार मांगों को लेकर बहुत गंभीर हैं।”