सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया है, जिसमें कहा गया था कि POCSO अपराध के लिए त्वचा से त्वचा का संपर्क आवश्यक है। यह भी पढ़ेँः Lakhimpur Kheri Case: पंजाब-हरियाणा के पूर्व जज की निगरानी में होगी जांच, SC ने SIT में भी किए फेरबदल
बॉम्बे HC के फैसले से खड़ा हुआ था विवाद
दरअसल उच्च न्यायालय के इस फैसले को लेकर विवाद खड़ा हो गया था। बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा था कि पॉक्सो ऐक्ट ( POCSO ) के तहत यौन उत्पीड़न का अपराध तभी माना जा सकता है, जब आरोपी और पीड़िता के बीच स्किन कॉन्टेक्ट हुआ हो।
दरअसल उच्च न्यायालय के इस फैसले को लेकर विवाद खड़ा हो गया था। बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा था कि पॉक्सो ऐक्ट ( POCSO ) के तहत यौन उत्पीड़न का अपराध तभी माना जा सकता है, जब आरोपी और पीड़िता के बीच स्किन कॉन्टेक्ट हुआ हो।
अदालत के इस फैसले के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार, राष्ट्रीय महिला आयोग और अटॉर्नी जनरल ने अपील दायर की थी। इस पर सुनवाई करते हुए ही जस्टिस उदय उमेश ललित, जस्टिस एस. रविंद्र भट और जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी की बेंच ने फैसले को खारिज कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने बताया निंदनीय
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि स्किन टू स्किन, टच भले ही न हो, लेकिन यह निंदनीय है।
हम हाईकोर्ट के फैसले को गलत मानते हैं। बॉम्बे HC ने एक दोषी को यह कहते हुए बरी कर दिया था कि अगर आरोपी और पीड़ित के बीच ‘स्किन-टू-स्किन’ यानी त्वचा से त्वचा का संपर्क नहीं हुआ है तो पोस्को कानून के तहत यौन उत्पीड़न का कोई अपराध नहीं बनता है।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि स्किन टू स्किन, टच भले ही न हो, लेकिन यह निंदनीय है।
हम हाईकोर्ट के फैसले को गलत मानते हैं। बॉम्बे HC ने एक दोषी को यह कहते हुए बरी कर दिया था कि अगर आरोपी और पीड़ित के बीच ‘स्किन-टू-स्किन’ यानी त्वचा से त्वचा का संपर्क नहीं हुआ है तो पोस्को कानून के तहत यौन उत्पीड़न का कोई अपराध नहीं बनता है।
यह भी पढ़ेँः Delhi Air Pollution: वर्क फ्रॉम होम के पक्ष में नहीं केंद्र सरकार, सुप्रीम कोर्ट में बताया दूसरा तरीका बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने एक आरोपी को यह कहते हुए बरी कर दिया था कि एक नाबालिग लड़की को कपड़ों पर से टटोलना पॉक्सो की धारा-8 के तहत ‘यौन उत्पीड़न’ का अपराध नहीं होगा।
उच्च अदालत का कहना था कि पॉक्सो की धारा-8 के तहत अपराध को आकर्षित करने के लिए ‘त्वचा से त्वचा’ संपर्क होना चाहिए। हाईकोर्ट का मानना था कि यह कृत्य आईपीसी की धारा-354 आईपीसी के तहत ‘छेड़छाड़’ का अपराध बनता है।