उनका मानना है कि यह कमी पृथ्वी पर मानवीय गतिविधियों में कमी के कारण हुई, जिससे ग्रीनहाउस गैसों और एरोसोल का उत्सर्जन कम हुआ। इससे चंद्रमा पर आने वाला विकिरण भी प्रभावित हुआ। शोधकर्ता इस परिणाम को महत्वपूर्ण मानते हैं, लेकिन यह भी कहते हैं कि अधिक डेटा की आवश्यकता है ताकि चंद्रमा के तापमान में बदलाव और पृथ्वी के विकिरण के बीच के संबंध को पूरी तरह समझा जा सके। उनका अध्ययन बताता है कि मानव गतिविधियों का प्रभाव दूर-दूर तक फैल सकता है, यहां तक कि चंद्रमा पर भी।
साइंटिस्ट ने ऐसे लगाया पता
भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल) के के दुर्गा प्रसाद और जी एंबिली ने 2017 और 2023 के बीच चंद्रमा के निकटवर्ती भाग पर छह अलग-अलग स्थानों-ओशनस प्रोसेलरम, मैरे सेरेनिटैटिस, मैरे इम्ब्रियम, मैरे ट्रैंक्विलिटैटिस और मैरे क्रिसियम के दो स्थानों पर रात के समय के सतह के तापमान का विश्लेषण किया। पीआरएल के निदेशक अनिल भारद्वाज ने कहा: “…यह हमारे समूह द्वारा किया गया एक महत्वपूर्ण कार्य है। यह काफी अनोखा है।” प्रसाद ने मीडिया को बताया कि, “हमने वास्तव में 12 वर्षों के डेटा का विश्लेषण किया। लेकिन एकरूपता के लिए हमने अपने अध्ययन में सात वर्षों (2017 से 2023) के डेटा का उपयोग किया- लॉकडाउन वर्ष से तीन वर्ष पहले, 2020 और उसके बाद के तीन वर्ष।” अध्ययन में चंद्रमा के निकटवर्ती भाग पर छह अलग-अलग स्थानों पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें ओसियनस प्रोसेलरम, मैरे सेरेनिटैटिस, मैरे इम्ब्रियम, मैरे ट्रैंक्विलिटिस और मैरे क्रिसियम शामिल हैं। 2017 और 2023 के बीच रात के समय सतह के तापमान का विश्लेषण करते हुए, शोधकर्ताओं ने पाया कि अन्य वर्षों की समान अवधि की तुलना में लॉकडाउन के महीनों के दौरान तापमान में लगातार 8-10 केल्विन की कमी आई है।
शोधकर्ताओं ने नासा के लूनर रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर से डेटा का इस्तेमाल किया। पीआरएल के निदेशक अनिल भारद्वाज ने कहा, “यह हमारे समूह द्वारा किया गया एक महत्वपूर्ण कार्य है। यह काफी अनोखा है।”
पृथ्वी का चंद्रमा पर क्या प्रभाव पड़ता है
शोधकर्ताओं का मानना है कि लॉकडाउन के दौरान पृथ्वी से निकलने वाले विकिरण में कमी के कारण तापमान में यह गिरावट आई है। जैसे-जैसे मानवीय गतिविधियां कम हुईं, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और एरोसोल में उल्लेखनीय कमी आई, जिससे पृथ्वी के वायुमंडल में कम गर्मी फंसी और फिर से उत्सर्जित हुई। बदले में, इसने चंद्रमा तक पहुंंचने वाले विकिरण की मात्रा को प्रभावित किया।
चांद पर कैसा पड़ा लॉकडाउन का असर?
प्रसाद ने कहा कि चंद्रमा पृथ्वी से आने वाले विकिरण को बढ़ाता है। लॉकडाउन ने दिखाया कि मानव गतिविधियों में बदलाव कैसे चंद्रमा को प्रभावित कर सकता है। चंद्रमा के तापमान में कमी को समझने के लिए उन्होंने अन्य कारणों, जैसे सौर गतिविधि और मौसमी बदलाव, की जांच की। लेकिन पाया कि इनमें से किसी का प्रभाव नहीं था, यानी तापमान में गिरावट लॉकडाउन के कारण ही थी। शोधकर्ताओं का कहना है कि और डेटा की जरूरत है ताकि चंद्रमा के तापमान और पृथ्वी के विकिरण के बीच के संबंध को सही से समझा जा सके। वे भविष्य में चंद्रमा पर वेधशालाओं को महत्वपूर्ण मानते हैं, जो पृथ्वी की जलवायु के अध्ययन में मदद कर सकती हैं। यह अध्ययन बताता है कि कैसे मानव गतिविधियां, यहां तक कि चंद्रमा पर भी, प्रभाव डाल सकती हैं।