देश के सबसे पुराने नगर निगमों में शामिल है शिमला
शिमला नगर निगम को भारत के सबसे पुराने नगर निगमों में से एक माना जाता है। पहले यहां भाजपा का कब्जा था। लेकिन हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार को सत्ता में आए पांच महीने बाद अब शिमला नगर निगम में भी कांग्रेस काबिज हो गई है। कांग्रेस को मिली यह जीत इसलिए भी खास है क्योंकि राज्य के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह ने शिमला से एक पार्षद के रूप में अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया था।
सीएम ने दी बधाई, बोले- हमारी सरकार पर लोगों के विश्वास की हुई पुष्टि
नगर निगम चुनाव में मिली जीत मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं हिमाचल के लोगों को शिमला नगर निगम में ऐतिहासिक जनादेश के लिए धन्यवाद देता हूं, जहां 10 साल बाद पार्टी के सिंबल पर चुनाव हुए। यह जनादेश हमारी सरकार और विकासात्मक राजनीति में राज्य के लोगों के विश्वास की पुष्टि करता है। राज्य कांग्रेस प्रमुख प्रतिभा सिंह ने पार्टी की निर्णायक जीत के लिए मतदाताओं का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि पार्टी 2024 के लोकसभा चुनाव में भी जीत की लय बरकरार रखेगी।
SFI के गढ़ में माकपा ने हासिल की जीत
शिमला नगर निगम के एक वार्ड में माकपा ने जीत दर्ज की, जबकि आम आदमी पार्टी (आप) खाता खोलने में नाकाम रही। माकपा ने समर हिल वार्ड जीता, जो कि इसके छात्र विंग स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) का गढ़ है। माकपा ने पिछली बार भी यह सीट जीती थी, लेकिन उम्मीदवार कार्यकाल के अंत में भाजपा में शामिल हो गए थे।
दो मई को 59 प्रतिशत हुआ था मतदान
कांग्रेस 2012 से 2017 तक नगर निगम में सत्ता से बाहर थी क्योंकि माकपा के मेयर और डिप्टी थे और 2017 से 2022 तक यहां भाजपा थी। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, दो मई को निकाय चुनाव के दौरान 59 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था। भाजपा ने 23 वार्डों से महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था, जबकि कांग्रेस ने 18 वार्डों से। दोनों पार्टियां सभी 34 वाडरें से चुनाव लड़ रही थीं। आप ने 21 और माकपा ने चार सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे।
कांग्रेस का चुनावी वादा- एक समान टैक्स व्यवस्था की नीति
कांग्रेस ने पुराने और मर्ज किए गए दोनों क्षेत्रों के लिए एक समान टैक्स व्यवस्था के लिए नीतियों को पेश करने का वादा किया था, वहीं भाजपा ने 50 प्रतिशत कचरा बिल माफी के अलावा हर महीने हर घर को 40,000 लीटर मुफ्त पानी देने का वादा किया था। पिछली भाजपा सरकार ने वार्डों की संख्या 34 से बढ़ाकर 41 की थी। सत्ता में आने के बाद दिसंबर में कांग्रेस सरकार ने 7 नए वार्डों को खत्म कर दिया था।
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