राष्ट्रीय

‘सेंगोल’ पर पार्टी लाइन के विरोध में गए शशि थरूर, बोले – लोकतंत्र और संप्रभुता का प्रतीक है सेंगोल

कांग्रेस वरिष्ठ व बहुचर्चित नेता शशि थरूर ने आज ट्वीट कर एक नए विवाद को जन्म दिया। एक बार फिर पार्टी लाइन से हटकर भाजपा सरकार के कार्य की प्रशंसा की। सरकार का यह तर्क उचित है कि राज-दंड पवित्र संप्रभुता और धर्म के शासन को मूर्त रूप देते हुए परंपरा का चलता रहना दिखाता है।

May 28, 2023 / 04:21 pm

Sanjay Kumar Srivastava

‘सेंगोल’ पर पार्टी लाइन के विरोध में गए शशि थरूर, बोले – लोकतंत्र और संप्रभुता का प्रतीक है सेंगोल

कांग्रेस नेता शशि थरूर ने रविवार को ऐतिहासिक ‘सेंगोल’ पर विचार रखते हुए कहा कि इसे लोकसभा में रखकर भारत इस बात की पुष्टि कर रहा है कि वहां संप्रभुता रहती है, न कि किसी राजा के पास। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नए संसद भवन में ‘सेंगोल’ रखने के विवाद के बीच थरूर ने एक ट्वीट में कहा, ‘सेंगोल विवाद पर मेरा अपना विचार है कि दोनों पक्षों के तर्क अच्छे हैं। सरकार सही तर्क देती है कि राजदंड पवित्र संप्रभुता और धर्म के शासन को मूर्त रूप देकर परंपरा की निरंतरता को दर्शाता है। विपक्ष का तर्क भी सही है कि संविधान को लोगों के नाम पर अपनाया गया था और यह संप्रभुता भारत के लोगों में उनकी संसद में प्रतिनिधित्व के रूप में रहती है।
https://twitter.com/ShashiTharoor/status/1662715559278985218?ref_src=twsrc%5Etfw
एक ऐसी कहानी जिसका कोई सबूत नहीं

कांग्रेस के लोकसभा सांसद शशि थरूर ने कहा, दो स्थितियों में सामंजस्य स्थापित किया जा सकता है, यदि कोई सत्ता के हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में लॉर्ड माउंटबेटन द्वारा प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को राजदंड सौंपे जाने के बारे में विवादास्पद लाल हेरिंग को छोड़ देता है, एक ऐसी कहानी जिसके लिए कोई सबूत नहीं है।
यह भी पढ़ें – Video : पीएम मोदी को अधीनम ने सौंपा सेंगोल, जानें Sengol क्या है?

प्रतीक को अतीत से वर्तमान मूल्यों के साथ स्वीकार करें

शशि थरूर ने आगे कहा, इसके बजाय हमें बस यह कहना चाहिए कि सेंगोल राजदंड शक्ति और अधिकार का एक पारम्परिक प्रतीक है, और इसे लोकसभा में रखकर, भारत इस बात की पुष्टि कर रहा है कि संप्रभुता वहां रहती है, न कि किसी सम्राट के पास। आइए हम इस प्रतीक को अतीत से हमारे वर्तमान मूल्यों के साथ स्वीकार करें।

नेहरू को भेंट किया गया था राजदंड

सरकार ने कहा कि अंग्रेजों से भारतीयों को सत्ता के हस्तांतरण को चिह्नित करने के लिए 14 अगस्त, 1947 को भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को ‘सेंगोल’ सौंपा गया था। कांग्रेस के जयराम रमेश ने कहा कि तत्कालीन मद्रास में एक धार्मिक संस्था ने नेहरू को राजदंड भेंट किया गया था, पर माउंटबेटन, राजाजी और नेहरू द्वारा इस राजदंड को भारत में ब्रिटिश सत्ता के हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में वर्णित करने का कोई दस्तावेजी सबूत नहीं है। इस बात के सभी दावे सादे और सरल हैं।

पीएम मोदी ने ‘सेंगोल’ किया स्थापित

शशि थरूर की यह टिप्पणी प्रधानमंत्री मोदी के रविवार को नए संसद भवन का उद्घाटन करने और कक्ष में लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी के पास ‘सेंगोल’ रखने के बाद आई है।

कांग्रेस सहित बीस विपक्षी दलों ने किया बहिष्कार

कांग्रेस सहित बीस विपक्षी दलों ने भाजपा पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को आमंत्रित नहीं करने का आरोप लगाते हुए और इसे देश के पहले आदिवासी राष्ट्रपति का अपमान बताते हुए नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार किया।

यह भी पढ़ें – पवित्र सेंगोल को लेकर कांग्रेस पर पीएम मोदी का तंज, कहा – छड़ी बताया था आज मिल रहा उचित स्थान

Hindi News / National News / ‘सेंगोल’ पर पार्टी लाइन के विरोध में गए शशि थरूर, बोले – लोकतंत्र और संप्रभुता का प्रतीक है सेंगोल

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.