कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि कोरोना को चीन के बुहान शहर की एक प्रयोगशाला में से बनाया गया है, जो आज दो साल बाद भी पूरे देश में कहर बरपा रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस बात की संभावना है कि यह वायरस जानवरों से इंसानों में पहुंचा है। वैज्ञानिक इस संभावना पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश कर रहे हैं कि ‘जूनोटिक’ यानि जानवर-से-इंसान में वायरस के पहुंचने के सिद्धांत से अगर सीख लें तो मानव जाति को नए वायरस और स्वरूप से बचाने में मदद मिलेगी।
हाल ही में कोरोना का नया ओमिक्रॉन वेरिएंट सामने आया है। कहा जा रहा है कि यह वेरिएंट भी कोरोना संक्रमित इंसानों के जानवरों के संपर्क में आने से विकसित हुआ है। हालांकि अभी इस संबंध में कोई रिसर्च या अध्ययन सामने नहीं आया है। बता दें कि कोरोना संक्रमण से अब तक 52 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
प्रयोगशाला में बनाया गया कोरोना
कोविड-19 के सामने आने पर यह कहा जा रहा था कि इसे चीन की एक प्रयोगशाला में बनाया गया है, लेकिन इसका कोई सबूत नहीं मिला है। वहीं अगस्त में एक पत्रिका में जानवरों से वायरस की उत्पत्ति के सबूत पेश किए गए। अध्ययन का हिस्सा रहे एरिजोना विश्वविद्यालय में जीवविज्ञानी माइकल वोरोबे ने पिछली गर्मियों में अन्य वैज्ञानिकों के साथ एक पत्र पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें कहा गया था कि दोनों सिद्धांत की संभावना है।
गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन और चीन की एक संयुक्त रिपोर्ट ने चमगादड़ से इंसानों में किसी अन्य जानवर के माध्यम से वायरस के संचरण को सबसे संभावित परिदृश्य बताया और प्रयोगशाला से वायरस की शुरुआत की थ्योरी को ‘बेहद असंभव’ बताया। WHO ने कोरोना की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए एक परामर्श समूह का गठन भी किया था, लेकिन वैज्ञानिकों में इस संबंध में किसी निष्कर्ष पर पहुंचने की संभावना बहुत कम है। इस बारे में जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय के लॉरेंस गोस्टिन कहते हैं कि महामारी की शुरुआत कहां से हुई इसकी जांच को लेकर देशों के बीच कोई सामंजस्य नहीं हैं, यही वजह है कि हम निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पा रहे हैं।