कोर्ट ने कहा है कि किसी भी निजी या सरकारी स्कूल की ओर से केजी से कक्षा 12 तक के किसी भी छात्र को शारीरिक कक्षाओं में भाग लेने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा।
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School Reopen: 1 सितंबर से खुलेंगे कक्षा 1 से 5वीं तक के स्कूल, चॉकलेट और फूलों से होगा बच्चों का स्वागत दरअसल तेलंगाना सरकार के स्कूल समेत अन्य शिक्षण संस्थान खोलने जाने को लेकर अभिभाव ( माता-पिता ) और कार्यकर्ता फिजकिल क्लासेज का विरोध कर रहे थे। वहीं इन विरोधों के बीच ही तेलंगाना सरकार ने बुधवार 01 सितंबर से राज्य के सभी प्राइवेट और सरकारी शिक्षण संस्थानों को फिर से खोलने का फैसला किया था। सीएम के. चंद्रशेखर राव ने बीते सप्ताह मंत्रियों और अधिकारियों के साथ एक बैठक की थी, इस बैठक के बाद ही स्कूल समेत अन्य शिक्षण संस्थान खोलने का फैसला लिय गया था।
हाईकोर्ट ने लगाई एक हफ्ते तक रोक
हालांकि अब तेलंगाना सरकार के इस फैसले पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। हाई कोर्ट ने सरकार के इस फैसले पर फिलहाल एक सप्ताह की रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि किसी भी स्कूल को खोलना अनिवार्य नहीं है और ना ही बच्चों को स्कूल बुलाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।
तेलंगाना उच्च न्यायालय ( Telangana High Court ) ने शिक्षण संस्थानों को ये निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने कहा कि छात्रों को सीधी शिक्षा के लिए आने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए।
इसमें कहा गया है कि कक्षाओं में शामिल नहीं होने वाले छात्रों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। हाई कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि वह लाइव क्लास करने वाले शिक्षण संस्थानों के खिलाफ कोई कार्रवाई न करें।
हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग को उन स्कूलों के संबंध में दिशा-निर्देश जारी करने का निर्देश दिया है जो स्कूल खोलकर क्लास लगाना चाहते हैं। ये दिशानिर्देश सप्ताह के दौरान दिए जाने हैं। स्कूलों को यह विज्ञापन देना होगा कि वे इन दिशानिर्देशों का पालन कर रहे हैं। हाईकोर्ट ने गुरुकुलों और छात्रावासों में सीधे पढ़ाने पर रोक लगा दी है।
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Coronavirus In India: केरल ही नहीं तीन अन्य राज्यों में भी बढ़ रहे कोरोना के केस, जानिए कितनी हुई बढ़ोतरी हाईकोर्ट ने शिक्षण संस्थानों और गुरुकुलों में हाई स्कूल नहीं खोलने का आदेश दिया है। गुरुकुलों ने छात्रावासों में सुविधाओं की रिपोर्ट देने को कहा। उच्च न्यायालय ने माना कि प्रत्यक्ष शिक्षण के फायदे और नुकसान दोनों हैं।
हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक, अब ऐसा लग रहा है कि अभिभावकों के पास सोचने का मौका है कि अपने बच्चों को स्कूल भेजें या नहीं। उच्च न्यायालय ने एक सप्ताह के लिए रोक लगा दी है इसलिए इस सप्ताह के अंत में मामले की फिर से सुनवाई की संभावना है।