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Savitri Bai Phoole: भारत की पहली महिला शिक्षक पढ़ाने जाती तो गोबर फेंकते थे लोग, जानिए कितनी संघर्षों से भरी रही उनकी कहानी

Savitri bai Phule Jayanti : भारत की पहली महिला शिक्षक सावित्री बाई फुले की आज 192वीं जयंती है। वह पढ़ाने जाती तो लोग उनपर गोबर फेंकते थे। समाज को शिक्षित बनाने के काम में उनके पति ज्योतिबा फुले ने उनका भरपूर सहयोग दिया।

Jan 03, 2024 / 11:47 am

Shaitan Prajapat

Savitribai Phule Jayanti 2024: हर साल देशभर में 3 जनवरी को सावित्रीबाई फुले जयंती के रूप में मनाया जाता है। सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी, 1831 महाराष्ट्र के सतारा जिले के एक गांव में हुआ था। देश की पहली महिला शिक्षक सावित्री को सम्मान देने के लिए प्रतिवर्ष इस दिन को सेलिब्रेट किया जाता है। वह पढ़ाने जाती तो लोग उनपर गोबर फेंकते थे। समाज को शिक्षित बनाने के काम में उनके पति ज्योतिबा फुले ने उनका भरपूर सहयोग दिया। उन्होंने महिलाओं के लिए भी लम्बी लड़ाई लड़ी और उनकी स्थिति में सुधार के लिए बहुत योगदान दिया।


पहली महिला टीचर के संघर्ष की कहानी

सावित्री बाई फुले का जन्म दलित परिवार में हुआ था। उस दौर में दलितों को शिक्षा नहीं दी जाती थी। सावित्रीबाई फुले ने इन सब कुरीतियों से लड़कर अपनी पढ़ाई जारी रखी। उनके समाज में छुआ-छूत का सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने इन सबसे हार न मानकर अपनी शिक्षा जारी रखी।

स्कूल जाते वक्त पत्थर मारते थे लोग

सावित्रीबाई को काफी संघर्ष करना पड़ा था। जब वह पढ़ने स्कूल जाती थीं तो लोग उन्हें पत्थर, कूड़ा और कीचड़ फेंकते थे। उन्होंने हिम्मत नहीं और और हर चुनौती का सामना किया। पढ़ने के बाद उन्होंने दूसरी लड़कियों और दलितों के लिए एजुकेशन पर काम करना किया। सावित्रीबाई ने साल 1848 से लेकर 1852 के बीच लड़कियों के लिए 18 स्कूल खोले थे।

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कई सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ उठाई आवाज

9 साल की उम्र में 13 वर्षीय ज्योतिराव फुले से उनकी शादी हो गई थी। उस समय वह अनपढ़ थीं। पढ़ाई में लगन देखकर उनके पति प्रभावित हुए और उनको आगे पढ़ाने का मन बनाया। सावित्रीबाई ने ना सिर्फ शिक्षा बल्कि देश में मौजूद कई कुरीतियों के खिलाफ भी आवाजा उठाई। उन्होंने छुआ-छूत, बाल-विवाह, सती प्रथा और विधवा विवाह निषेध जैसी कुरीतियों का विरोध किया और इनके खिलाफ लड़ती रहीं।

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