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RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा- अब और आंदोलन नहीं, हर मस्जिद में शिवलिंग की तलाश क्यों?

RSS chief Mohan Bhagwat:RSS प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में आरएसएस अधिकारी प्रशिक्षण शिविर के समापन सत्र को संबोधित करते हुए कहा हर मस्जिद में शिवलिंग की तलाश क्यों करते हैं। इसके साथ ही उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि वह अब किसी नए आंदोलन को शुरू करने के पक्ष में नहीं हैं।

Jun 03, 2022 / 09:21 am

Abhishek Kumar Tripathi

RSS chief Mohan Bhagwat said no more agitation, why look for Shivling in every mosque?

RSS chief Mohan Bhagwat: राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने नागपुर में RSS ऑफिसर ट्रेनिंग कैंप के समापन सत्र को संबोधित करते हुए ज्ञानवापी मुद्दे का जिक्र करते हुए बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा हर दिन एक नया मुद्दा नहीं लाना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने हर मस्जिद में एक शिवलिंग की तलाश करने की आवश्यकता पर सवाल उठाते हुए कहा हर मस्जिद में शिवलिंग क्यों देखना? विवाद को क्यों बढ़ाना है? हालांकि ज्ञानवापी विवाद में आस्था के कुछ मुद्दे शामिल हैं और इस पर अदालत के फैसले को सभी को स्वीकार करना चाहिए।
इसके साथ ही आगे RSS प्रमुख ने कहा ज्ञानवापी का एक इतिहास है जिसे हम अभी नहीं बदल सकते हैं, यह इतिहास हमने नहीं बनाया है और न ही इसे आज के हिंदुओं ने बनाया और न ही आज के मुसलमानों ने, यह इतिहास इस्लाम आक्रमणकारियों के साथ आया था, जिन्होंने देवस्‍थानों को तोड़ा। ऐसे हजारों मंदिर हैं, जो हिंदुओं के दिलों में विशेष महत्व रखते हैं। इन मंदिरों के मुद्दे अब उठाए जा रहे हैं।

मुसलमानों के पूर्वज हिंदू थे

RSS प्रमुख मोहन भागवत ने एक बार फिर मुसलमानों के पूर्वजों को हिंदू बताया है। उन्होंने कहा हिंदू मुसलमानों के विरोधी नहीं हैं। मुसलमानों के पूर्वज हिंदू थे। कई लोगों को लगता है कि जो हिंदुओं का मनोबल को तोड़ने के लिए मंदिरों को तोड़ा गया गया। वहीं अब हिंदुओं के एक वर्ग को लगता है कि इन मंदिरों के पुनर्निर्माण की जरूरत है।

अब कोई नया आंदोलन नहीं करना

RSS प्रमुख ने कहा हमको जो कुछ कहना था, हमने 9 नवंबर को कह दिया है। राम जन्मभूमि का आंदोलन था जिसमें हम कुछ ऐतिहासिक कारणों से इसमें सम्मिलित हुए। यह कार्य अब पूरा हो गया है। इसके बाद अब हमें कोई नया आंदोलन नहीं करना है।
 

अदालत के फैसले का सम्मान करने की है जरूरत
मोहन भागवत ने कहा ज्ञानवापी मुद्दे को दोनों पक्षों के बीच सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाने की जरूरत है। वहीं अगर दोनों पक्ष अदालत जाने का फैसला करते हैं, तो उन्हें अदालत के फैसले का सम्मान करने की जरूरत है। इसके साथ ही उन्होंने कहा संविधान और न्यायिक प्रणाली पवित्र और सर्वोच्च हैं। इसके निर्णय को स्वीकार करना चाहिए, किसी को भी फैसले पर सवाल नहीं उठाना चाहिए।

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