इसके साथ ही आगे RSS प्रमुख ने कहा ज्ञानवापी का एक इतिहास है जिसे हम अभी नहीं बदल सकते हैं, यह इतिहास हमने नहीं बनाया है और न ही इसे आज के हिंदुओं ने बनाया और न ही आज के मुसलमानों ने, यह इतिहास इस्लाम आक्रमणकारियों के साथ आया था, जिन्होंने देवस्थानों को तोड़ा। ऐसे हजारों मंदिर हैं, जो हिंदुओं के दिलों में विशेष महत्व रखते हैं। इन मंदिरों के मुद्दे अब उठाए जा रहे हैं।
मुसलमानों के पूर्वज हिंदू थे
RSS प्रमुख मोहन भागवत ने एक बार फिर मुसलमानों के पूर्वजों को हिंदू बताया है। उन्होंने कहा हिंदू मुसलमानों के विरोधी नहीं हैं। मुसलमानों के पूर्वज हिंदू थे। कई लोगों को लगता है कि जो हिंदुओं का मनोबल को तोड़ने के लिए मंदिरों को तोड़ा गया गया। वहीं अब हिंदुओं के एक वर्ग को लगता है कि इन मंदिरों के पुनर्निर्माण की जरूरत है।
अब कोई नया आंदोलन नहीं करना
RSS प्रमुख ने कहा हमको जो कुछ कहना था, हमने 9 नवंबर को कह दिया है। राम जन्मभूमि का आंदोलन था जिसमें हम कुछ ऐतिहासिक कारणों से इसमें सम्मिलित हुए। यह कार्य अब पूरा हो गया है। इसके बाद अब हमें कोई नया आंदोलन नहीं करना है।
अदालत के फैसले का सम्मान करने की है जरूरत
मोहन भागवत ने कहा ज्ञानवापी मुद्दे को दोनों पक्षों के बीच सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाने की जरूरत है। वहीं अगर दोनों पक्ष अदालत जाने का फैसला करते हैं, तो उन्हें अदालत के फैसले का सम्मान करने की जरूरत है। इसके साथ ही उन्होंने कहा संविधान और न्यायिक प्रणाली पवित्र और सर्वोच्च हैं। इसके निर्णय को स्वीकार करना चाहिए, किसी को भी फैसले पर सवाल नहीं उठाना चाहिए।