एस सोमनाथ बने तीन साल के लिए अंतरिक्ष विभाग के सचिव:
वरिष्ठ वैज्ञानिक एस सोमनाथ को तीन साल के लिए अंतरिक्ष विभाग के सचिव के तौर पर नियुक्त किया गया है। वे साथ ही अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष भी रहेंगे। आपको बता दें कि एस सोमनाथ 22 जनवरी, 2018 से विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) के निदेशक का नेतृत्व कर रहे हैं। वह दुनिया की अग्रणी अंतरिक्ष एजेंसियों में से एक के अगले प्रमुख के रूप में के सिवन का स्थान लेंगे। वे हाई थ्रस्ट सेमी-क्रायोजेनिक इंजन की विकास गतिविधियों के अहम हिस्सा रहे हैं।
ऐसे हुई सोमनाथ के करियर की शुरुआत:
एस सोमनाथ देश के कुछ बेहतरीन वैज्ञानिकों में से एक हैं। सोमनाथ रॉकेट टेक्नोलॉजिस्ट और एयरोस्पेस इंजीनियर हैं। उन्हें भारत के सबसे ताकतवर स्पेस रॉकेट (GSLV Mk-III) लॉन्चर के विकास कार्य को लीड करने वाले चंद वैज्ञानिकों में गिना जाता है। उन्होंने अपने कॅरियर की शुरुआत पोलर सैटेलाइट लॉन्चिंग व्हीकल (पीएसएलवी) के विकास कार्यों में भी अहम भूमिका निभाई थी।
वरिष्ठ वैज्ञानिक एस सोमनाथ को तीन साल के लिए अंतरिक्ष विभाग के सचिव के तौर पर नियुक्त किया गया है। वे साथ ही अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष भी रहेंगे। आपको बता दें कि एस सोमनाथ 22 जनवरी, 2018 से विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) के निदेशक का नेतृत्व कर रहे हैं। वह दुनिया की अग्रणी अंतरिक्ष एजेंसियों में से एक के अगले प्रमुख के रूप में के सिवन का स्थान लेंगे। वे हाई थ्रस्ट सेमी-क्रायोजेनिक इंजन की विकास गतिविधियों के अहम हिस्सा रहे हैं।
ऐसे हुई सोमनाथ के करियर की शुरुआत:
एस सोमनाथ देश के कुछ बेहतरीन वैज्ञानिकों में से एक हैं। सोमनाथ रॉकेट टेक्नोलॉजिस्ट और एयरोस्पेस इंजीनियर हैं। उन्हें भारत के सबसे ताकतवर स्पेस रॉकेट (GSLV Mk-III) लॉन्चर के विकास कार्य को लीड करने वाले चंद वैज्ञानिकों में गिना जाता है। उन्होंने अपने कॅरियर की शुरुआत पोलर सैटेलाइट लॉन्चिंग व्हीकल (पीएसएलवी) के विकास कार्यों में भी अहम भूमिका निभाई थी।
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कबियामी की राह पर यहां से चले थे सोमनाथ:
वरिष्ठ वैज्ञानिक, एस सोमनाथ ने केरल के एर्नाकुलम से महाराजा कॉलेज से प्री-डिग्री प्रोग्राम पूरा करने के बाद केरल विश्वविद्यालय के क्विलॉन स्थित टीकेएम क़ॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करी। इसके बाद उन्होंने आईआईएससी से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर की डिग्री हासिल हुई। उन्हें रॉकेट डायनेमिक्स और कंट्रोल पर विशेषज्ञता हासिल की उसके बाद वे 1985 में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) में शामिल हुए।