scriptRepublic Day Special: वडोदरा में चल रही है आजादी से पहले खोली गई खादी की दुकान, घर का खर्चा निकालने के बाद बचा हुआ पैसा भेजते थे गांधी जी को | Republic Day Special: A Khadi shop opened before Independence is still running in Vadodara | Patrika News
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Republic Day Special: वडोदरा में चल रही है आजादी से पहले खोली गई खादी की दुकान, घर का खर्चा निकालने के बाद बचा हुआ पैसा भेजते थे गांधी जी को

Republic Day Special: महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान स्वदेशी उत्पादों को अपनाने की अपील की थी। इससे प्रेरित होकर छोटालाल मेहता और उनके दो पुत्रों धीरजलाल व सुमनचंद्र ने 1930-32 के दौरान वडोदरा में खादी बेचना शुरू किया।

भारतJan 26, 2025 / 07:20 am

Ashib Khan

Republic Day Special: शहर के रावपुरा में आज भी खादी वस्त्रों की एक ऐसी दुकान है जो देश की आजादी से पहले खोली गई थी। उसके मालिक दुकान से होने वाली आमदनी में से घरेलू खर्च निकालने के बाद बचा हुआ पैसा समाज सेवा के लिए महात्मा गांधी को भेजते थे। भारत उद्योग हाट नाम से खोली गई यह पहली निजी दुकान थी जहां खादी की बिक्री होती थी। यह दुकान उसी स्थिति में चल रही है, जैसी पहले थी। इस दुकान का किसी भी प्रकार का नवीनीकरण नहीं हुआ है। 

रविशंकर महाराज ने किया उद्घाटन 

महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान स्वदेशी उत्पादों को अपनाने की अपील की थी। इससे प्रेरित होकर छोटालाल मेहता और उनके दो पुत्रों धीरजलाल व सुमनचंद्र ने 1930-32 के दौरान वडोदरा में खादी बेचना शुरू किया। इसके बाद रावपुरा में 1937 में उन्होंने दुकान शुरू की। इस दुकान का उद्घाटन करने रविशंकर महाराज आए थे। उस समय यह दुकान उचित मूल्य पर स्वदेशी खादी के लिए प्रसिद्ध थी। 1942 में गांधीजी की अपील पर हर जगह विदेशी वस्त्रों और वस्तुओं की होली जलने लगी तो यहां खादी खरीदने के लिए कतारें लग गईं। 

दुकान मालिक छोटालाल समाज सेवा से जुड़े 

बाद में छोटालाल मेहता ने अपना जीवन समाज सेवा के लिए समर्पित करने का निर्णय लिया और गांधीजी के साथ चले गए। उनके बड़े पुत्र धीरजलाल मेहता का विवाह सौराष्ट्र के जेतपुर की प्रभा के साथ बारडोली में रविशंकर महाराज ने कराया था। इस अवसर पर गांधीजी भी उपस्थित थे। उन्होंने सभी को गुड़ खिलाकर मुंह मीठा कराया था। यह संस्मरण छोटालाल के पड़पोते पुलकित मेहता (71) और संजय मेहता (63) ने साझा किए। 

एक दशक तक भेजी गई राशि 

छोटालाल के पड़पौत्र के मुताबिक गांधीजी समेत कई लोग अक्सर भारत उद्योग हाट में आते थे। मेहता परिवार ने स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान देने के लिए कई अनोखे निर्णय लिए। वे अपनी दुकान से होने वाली आय में से घरेलू खर्च का हिस्सा निकालकर शेष राशि गांधीजी या उनकी सलाह पर आश्रम को भेज देते थे। लगभग एक दशक तक आय का एक हिस्सा इसी तरह भेजा जाता रहा। गांधीजी से इस बारे में पत्राचार भी हुआ। छोटेलाल के पड़पौत्र पुलकित और संजय आज भी यह दुकान चला रहे हैं।

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