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देश के नाम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का संबोधन, अंतरिक्ष में छलांग, जन कल्याण योजनाओं और इन मुद्दों पर की बात

75वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने देशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि कल के दिन संविधान का उत्सव मनाएंगे।

Jan 25, 2024 / 07:49 pm

Paritosh Shahi

75वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को देश को संबोधित करते हुए कहा मैं देश को शुभकामनाएं देती हूं। कल हम संविधान के प्रारंभ का उत्सव मनाएंगे। इसकी प्रस्तावना हम लोग से शुरू होती है। उन्होंने कहा, “हमारे गणतंत्र की मूल भावना से एकजुट होकर 140 करोड़ से अधिक भारतवासी एक कुटुंब के रूप में रहते हैं। दुनिया के सबसे बड़े इस कुटुंब के लिए, सह-अस्तित्व की भावना, भूगोल द्वारा थोपा गया बोझ नहीं है, बल्कि सामूहिक उल्लास का सहज स्रोत है, जो हमारे गणतंत्र दिवस के उत्सव में अभिव्यक्त होता है।”

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इस वर्ष हमारा देश कौन सा गणतंत्र दिवस मनाएगा, 74वां या 75वां?

जी20 शिखर सम्मेलन का सफल आयोजन एक अभूतपूर्व उपलब्धि थी

जी20 शिखर सम्मेलन पर उन्होंने कहा, “हमारे राष्ट्रीय त्योहार ऐसे महत्वपूर्ण अवसर होते हैं जब हम अतीत पर भी दृष्टिपात करते हैं और भविष्य की ओर भी देखते हैं। पिछ? गणतंत्र दिवस ?स के बाद के एक वर्ष पर नजर डालें तो हमें बहुत प्रसन्नता होती है। भारत की अध्यक्षता में दिल्ली में G20 शिखर सम्मेलन का सफल आयोजन एक अभूतपूर्व उपलब्धि थी। G20 से जुड़े आयोजनों में जन-सामान्य की भागीदारी विशेष रूप से उल्लेखनीय है। इन आयोजनों में विचारों और सुझावों का प्रवाह ऊपर से नीचे की ओर नहीं बल्कि नीचे से ऊपर की ओर था। उस भव्य आयोजन से यह सीख भी मिली है कि सामान्य नागरिकों को भी ऐसे गहन तथा अंतर-राष्ट्रीय महत्व के मुद्दे में भागीदार बनाया जा सकता है जिसका प्रभाव अंततः उनके अपने भविष्य पर पड़ता है।”

[typography_font:14pt;” >राम मन्दिर न्यायिक प्रक्रिया में अगाध आस्था का प्रमाण

75वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा, “इस सप्ताह के आरंभ में हम सबने अयोध्या में प्रभु श्री राम के जन्मस्थान पर निर्मित भव्य मंदिर में स्थापित मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का ऐतिहासिक समारोह देखा। भविष्य में जब इस घटना को व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखा जाएगा, तब इतिहासकार, भारत द्वारा अपनी सभ्यतागत विरासत की निरंतर खोज में युगांतरकारी आयोजन के रूप में इसका विवेचन करेंगे। उचित न्यायिक प्रक्रिया और देश के उच्चतम न्यायालय के निर्णय के बाद मंदिर का निर्माण कार्य आरंभ हुआ। अब यह एक भव्य संरचना के रूप में शोभायमान है। यह मंदिर न केवल जन-जन की आस्था को व्यक्त करता है बल्कि न्यायिक प्रक्रिया में हमारे देशवासियों की अगाध आस्था का प्रमाण भी है।”

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