scriptSupreme Court में नियमित मामलों की सुनवाई अब जनवरी में ही, जानिए जेलों में वैकेंसी और Menstrual Hygiene पर शीर्ष कोर्ट ने क्या कहा | Regular cases in the Supreme Court will now be heard only in January, know what the apex court said on vacancies in jails and menstrual hygiene | Patrika News
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Supreme Court में नियमित मामलों की सुनवाई अब जनवरी में ही, जानिए जेलों में वैकेंसी और Menstrual Hygiene पर शीर्ष कोर्ट ने क्या कहा

Supreme Court ने मंगलवार को तीन अलग-अलग महत्वपूर्ण मामलों नियमित फैसलों की सुनवाई, राज्यों की जेलों में खाली पड़े पदों और कक्षा 6 से 12 तक की किशोरियों के लिए सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में केंद्र की राष्ट्रीय नीति ‘स्कूल जाने वाली लड़कियों के लिए मासिक धर्म स्वच्छता नीति’ के बारे में क्या टिप्पणियां की, आइए जानते हैं।

नई दिल्लीDec 11, 2024 / 11:41 am

स्वतंत्र मिश्र

Menstrual Hygiene of Teenage girl

Menstrual Hygiene of Teenage girl

Supreme Court News : देश के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने मंगलवार को कहा कि नोटिस जारी होने के बाद सुनवाई के लंबित मामलों की संख्या में बढ़ोतरी को देखते हुए नियमित मामलों की सुनवाई अब जनवरी 2025 में ही की जाएगी। CJI की बेंच में एक वकील ने दिवालियापन मामले का मेंशन करते हुए कानूनी बिंदुओं पर बड़ी बेंच के गठन का अनुरोध किया तो उन्हाेंने यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि फिलहाल कोर्ट लंबित मामलों को निपटाने पर ध्यान देगा। नोटिस के बाद लंबित मामलों की संख्या बहुत अधिक है इसलिए जनवरी में हम सामान्य मामलों से निपटना शुरू करेंगे।

राज्यों से मांगी जेलों में वैकेंसी की जानकारी

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से जेलों में आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए अधिकारियों और कर्मचारियों की संख्या, रिक्त पद और उन्हें भरने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी मांगी है। जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने जेलों में कैदियों की अत्यधिक भीड़ से संबंधित मामले पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों से आठ सप्ताह में हलफनामा पेश करने को कहा गया है।

मासिक धर्म स्वच्छता मामले में फैसला सुरक्षित

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को कक्षा 6 से 12 तक की किशोरियों के लिए सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में केंद्र की राष्ट्रीय नीति ‘स्कूल जाने वाली लड़कियों के लिए मासिक धर्म स्वच्छता नीति’ (Menstrual Hygiene Policy) पर अमल के मामले में सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया। जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर.महादेवन की बेंच ने सुनवाई के दौरान इस बात की पुष्टि की कि स्कूलों में अभी मुफ्त पैड दिए जा रहे हैं या नहीं और क्या स्कूली लड़कियों को इसके लिए मांग करनी होगी।

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