- रतन टाटा ने किसी भी व्यक्ति को अपना उत्तराधिकारी नहीं बनाया था। ऐसे में अब उनके ट्रस्ट ट्रस्टियों में से ही किसी एक व्यक्ति का अध्यक्ष पद के लिए चुनाव किया जाएगा।
यह भी पढ़ें
Haryana: कांग्रेस को अति-आत्मविश्वास, कुर्सी की लड़ाई व जाटवाद का नारा ले डूबा
- टाटा समूह के दो मुख्य ट्रस्ट हैं, जिसमें सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट शामिल हैं। इन दोनों ट्रस्टों के पास टाटा संस में करीब 52 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
- टाटा संस के द्वारा टाटा समूह की कंपनियों का संचालन किया जाता है। यह समूह विमानन से लेकर एफएमसीसी तक के पोर्टफोलियो को संभालता है। दोनों ट्रस्टों में कुल 13 ट्रस्टी हैं।
यह भी पढ़ें
Public Holidays: आज से 14 अक्टूबर तक बंद रहेंगे स्कूल-बैंक और ऑफिस
- कुछ लोग दोनों ट्रस्टों में ट्रस्टी की भूमिका निभा रहे हैं, जिसमें रतन टाटा के सौतेले भाई और ट्रेंट के चेयरमैन नोएल टाटा, पूर्व रक्षा सचिव विजय सिंह, ऑटोमोबाइल क्षेत्र के दिग्गज वेणु श्रीनिवासन, व्यवसायी मेहली मिस्त्री और वकील डेरियस खंबाटा के नाम शामिल हैं।
- टाटा ट्रस्ट के प्रमुख का चुनाव ट्रस्टियों में से बहुमत के आधार पर किया जाता है। फिलहाल विजय सिंह और वेणु श्रीनिवास इन दोनों ट्रस्टों के उपाध्यक्ष हैं, लेकिन इनमें से किसी एक के प्रमुख चुने जाने की संभावना अपेक्षाकृत कम है।
- 67 साल के नोएल टाटा को टाटा ट्रस्ट का प्रमुख बनाए जाने की अधिक संभावना है। इससे यह भी सुनिश्चित होगा कि ग्रुप का नेतृत्व एक पारसी ही करे। इस ट्रस्ट ने वित्त वर्ष 2023 में 470 करोड़ रुपए से अधिक का दान दिया था।
क्या कोई बंद लिफाफा भी है?
अभी यह पता नहीं चला है कि अपनी विरासत के बारे में रतन टाटा ने क्या बंद लिफाफे में कोई इच्छा व्यक्त की है। यदि ऐसा होता है तब भी उत्तराधिकार के चुनाव में उसका ज्यादा महत्त्व नहीं होगा। दोनों ट्रस्ट ही उनके उत्तराधिकारी चुनेंगे। हालांकि, माना जा रहा है कि यदि उन्होंने कोई इच्छा जाहिर की होगी तो वह ट्रस्टियों का मार्गदर्शन कर सकती है। कुछ समय पहले साइरस मिस्त्री के साथ विवाद में रतन टाटा ने कोर्ट को बताया था कि टाटा समूह का चेयरमैन कोई गैर-टाटा भी हो सकता है। हालांकि टाटा ट्रस्ट में व्याप्त ‘पारसी इकोसिस्टम’ शायद ही इसे आसानी से स्वीकार करे।खुद के ताज होटल में भी बिल चुकाया
रतन टाटा एक शाम मुंबई के ताज होटल में अतिथियों के साथ डिनर किया। डिनर के बाद वेटर ने रतन टाटा को बिल थमा दिया, जिसका उन्होंने पेमेंट कर दिया। मीडिया कंपनी के एक प्रेसिडेंट भौंचक्के रह गए। उन्होंने पूछ लिया कि आपके अपने होटल ने ही आपको बिल दे दिया। रतन टाटा ने कहा, फिर कॉरपोरेट में मानक कैसे स्थापित होंगे। आपको खुद उदाहरण बनकर इसे कायम करना होगा। -रतन टाटा हवाई सफर के दौरान आम लोगों के साथ कतार में लगकर अपना सामान खुद ही उठाते थे। एक बार केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने औरंगाबाद में उनकी आवभगत में लोग लगा रखे थे। लेकिन खुद ही बैग उठाया और बोले-मेरा बैग है, मैं ही उठाउंगा।
-रतन टाटा अच्छे कपड़ों के शौकीन थे, लेकिन बाहर के कपड़े कम पहनते थे। वे कोलाबा में लोकल दर्जी से ही अपने कपड़े सिलवाते थे।