‘जल संचय, जन भागीदारी’ का ये है उद्देश्य
जल शक्ति मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक योजना में लोगों को शामिल किया जाएगा। इसका उद्देश्य बारिश के पानी को बोरवेल रिचार्ज और रिचार्ज शाफ्ट के माध्यम से सुरक्षित करना है। इसके लिए सरकारी और गैर-सरकारी संसाधनों जैसे CSR फंड, औद्योगिक घरानों, नागरिक निकायों और जल क्षेत्र में काम कर रहे लोगों से मदद ली जाएगी। ये सामूहिक रूप से जल सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित करने की दिशा में काम कर रहे हैं। अधिकारी ने कहा कि ‘जल संचय, जन भागीदारी’ (JSJB) पहल का मुख्य उद्देश्य सामूहिक प्रयासों से पानी की एक-एक बूंद को संरक्षित करना है। गुजरात में इस पहल की शुरुआती सफलता के बाद देशभर में ऐसे दस लाख स्ट्रक्चर के निर्माण का फैसला किया गया। पहल के तहत प्रत्येक जिले को यह सुनिश्चित करने का काम सौंपा गया है कि सभी गांवों में बारिश के पानी को संग्रहीत करने के लिए कम से कम पांच रिचार्ज साइट्स हों। इसके अलावा नगर निगम से अनुरोध किया गया कि वह अपने अधिकार क्षेत्र में न्यूनतम 10,000 रिचार्ज स्ट्रक्चर स्थापित करे।
गुप्त सरस्वती नदी को पुनर्जीवित करने की योजना तैयार – पाटिल
जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल ने रविवार को सूरत में आयोजित ‘जल संचय-जन भागीदारी अभियान’ कार्यक्रम के दौरान कहा कि कैच द रेन कैम्पेन के तहत सूरत देशभर के समक्ष बेहतरीन उदाहरण बनकर सामने आ रहा है। गुजरात में बरसाती पानी को जमीन में संग्रहित करने के लिए 80 हजार बोर तैयार किए जा चुके हैं जबकि दो लाख से ज्यादा पर सहमति बन चुकी है। मध्यप्रदेश के 3500 गांवों में 14 हजार बोर की स्वीकृति मिल चुकी है। हरियाणा से बहकर गुप्त रूप से राजस्थान होते हुए गुजरात आने वाली सरस्वती नदी को भी कुछ ही समय में पानी से बहती नदी के रूप में तैयार करने की योजना तैयार कर ली गई है। कार्यक्रम में राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, गुजरात के सीएम भूपेंद्र पटेल, मध्यप्रदेश के सीएम मोहन यादव और बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी भी शामिल हुए।