अब हर ट्रिप के बाद कंबलों की यूवी सेनेटाइजेशन प्रक्रिया
उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंचार अधिकारी हिमांशु शेखर उपाध्याय ने बताया कि रेलवे में उपयोग होने वाले लेनिन की सफाई हर उपयोग के बाद की जाती है। लेनिन की सफाई विशेष रूप से मैकेनिकल लॉन्ड्री में होती है। यह पूरी तरह से निगरानी में की जाती है। इसमें सीसीटीवी कैमरे लगे होते हैं और पूरी प्रक्रिया का पूरा ध्यान रखा जाता है। इसके अलावा, समय-समय पर अधिकारियों और पर्यवेक्षकों द्वारा अचानक परीक्षण भी किया जाता है। अच्छी तरह से जांच करने के बाद ही लेनिन को यात्रियों को दी जाती है।
राजधानी-तेजस ट्रेनों में पायलट प्रोजेक्ट शुरू
रेलवे अधिकारी ने कहा कि उत्तर रेलवे द्वारा गुणवत्ता सुधार के लिए नए मानक लागू हो रहे है। मौजूदा समय में यह सुधार राजधानी, तेजस जैसी विशेष और प्रतिष्ठित ट्रेनों में पायलट आधार पर शुरू हो रहा है। माना जा रहा है कि यह नई प्रकार की लेनिन बेहतर गुणवत्ता की हैं। यह लम्बी और चौड़ी है और फैब्रिक भी ज्यादा बढ़िया है। इसका उपयोग करने से यात्रियों को बेहतर अनुभव होगा और पहले से ज्यादा संतुष्टि मिलेगी।
अब महीने में दो होगा ब्लैंकेट की सफाई
उन्होंने बताया कि साल 2010 से पहले ब्लैंकेट की सफाई का प्रोटोकॉल था कि उसे हर दो या तीन महीने में एक बार साफ करना होता था। अब इसको हर महीने में दो बार साफ किया जा रहा है। जहां लॉजिस्टिक समस्याएं होती हैं, वहां इसे महीने में एक बार साफ करना होता है। इसके साथ ही उत्तर रेलवे हर 15 दिन में नेफ्थलीन वेपर हॉट एयर क्रिस्टलाइजेशन का प्रयोग किया जाता है। यह एक बहुत प्रभावी और समय-परीक्षित तरीका है। इससे ट्रेन यात्रियों को एक बेहतर सफाई और सुविधा अनुभव हो रहा है।