पहली बार, जब मैदान में नहीं कांग्रेस उम्मीदवार
आजादी के बाद यह पहला अवसर है जब कांग्रेस पार्टी का कोई उम्मीदवार यहां मैदान में नहीं है। कांग्रेस यहां मुकाबले से बाहर है। कांग्रेस के भी कई नेता मानते हैं कि आम आदमी पार्टी आज तक नई दिल्ली लोकसभा सीट नहीं जीती है, जबकि कांग्रेस 7 बार नई दिल्ली लोकसभा का चुनाव जीत चुकी है। बावजूद इसके कांग्रेस को यह सीट छोड़नी पड़ी है। दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच हुए सीट समझौते के कारण कांग्रेस यहां मुकाबले में नहीं है। यह वही सीट हैं जहां के मतदाताओं में कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी, सांसद राहुल गांधी व उनकी बहन प्रियंका वाड्रा शामिल हैं।सहज नहीं हो सके आप-कांग्रेस के संबंध
दबी जुबान में कांग्रेस के कई वरिष्ठ व स्थानीय नेता इस समझौता को लेकर अपनी आपत्ति जताते रहे हैं। शुरुआती दौर में तो दिल्ली कांग्रेस के अधिकांश नेता पूरी तरह से इस गठबंधन के विरोध में थे। इसका एक बड़ा कारण यह भी है कि कांग्रेस व ‘आप’ में हुए गठबंधन से पहले आम आदमी पार्टी के विधायक जरनैल सिंह व अन्य सदस्यों ने दिल्ली विधानसभा में राजीव गांधी से भारत रत्न वापस लेने का प्रस्ताव किया था। विधानसभा में न केवल यह प्रस्ताव रखा गया था बल्कि विधानसभा अध्यक्ष समेत आम आदमी पार्टी के अधिकांश सदस्यों ने इस प्रस्ताव का समर्थन भी किया था।यही नहीं स्वयं दिल्ली के मुख्यमंत्री व आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल सोनिया गांधी की गिरफ्तारी की मांग भी कर चुके हैं। कई स्थानों पर अभी भी आप व कांग्रेस के नेताओं के संबंध आपस में सहज नहीं हो सके हैं। कांग्रेस व ‘आप’ अभी भी पंजाब में एक-दूसरे के विरोधी हैं और अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं, भाजपा ने अब तक नई दिल्ली लोकसभा सीट पर 11 बार जीत दर्ज की है। इस बार भाजपा ने पूर्व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज को अपना उम्मीदवार बनाया है। आम आदमी पार्टी की ओर से सोमनाथ भारती मैदान में हैं। सोमनाथ भारती आम आदमी पार्टी के विधायक हैं और दिल्ली सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं।