मार्च 2024 में शुरू हुआ विवाद
राहुल खड़गे सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट के अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने 20 सितंबर 2024 के पत्र में लिखा है, “बोर्ड इसे आवंटन पत्र के खंड 8 के अनुसार सीए साइट के स्वैच्छिक आत्मसमर्पण के रूप में स्वीकार कर सकता है।” राहुल खड़गे द्वारा जमीन वापस करने का मामला इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह मुडा भूमि घोटाले की पृष्ठभूमि में हुआ है। यह कदम कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया द्वारा विवादास्पद मुडा भूमि आवंटन को वापस करने के बाद उठाया गया है। पांच एकड़ के भूखंड को लेकर विवाद मार्च 2024 में तब शुरू हुआ था, जब सिद्दारमैया सरकार ने राहुल खड़गे की अध्यक्षता वाले सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट को जमीन दी। भाजपा की कर्नाटक इकाई ने इस कदम की आलोचना की थी।भाजपा ने कांग्रेस पर लगाया आरोप
भाजपा ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली राज्य सरकार पर पार्टी सदस्यों को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए ‘सत्ता का दुरुपयोग और भाई-भतीजावाद’ का आरोप लगाया था। कर्नाटक भाजपा ने मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे प्रियंक खड़गे को कर्नाटक मंत्रिमंडल से हटाने की भी मांग की और उन पर केआईएडीबी द्वारा अपने परिवार के लिए अवैध भूमि सौदे में मदद करने का आरोप लगाया था। इस बीच प्रियांक खड़गे ने इस मुद्दे पर अनावश्यक विवाद पैदा करने के लिए भाजपा की आलोचना की। उन्होंने कहा कि सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट एक शैक्षिक, सांस्कृतिक और धर्मार्थ ट्रस्ट है, न कि कोई पारिवारिक या निजी संस्था। उन्होंने कहा, “ट्रस्ट लंबे समय तक चलने वाले विवादों में नहीं पड़ना चाहता, जो शिक्षा और समाज सेवा के प्राथमिक उद्देश्य से ध्यान और प्रयासों को भटका देगा।” उन्होंने भाजपा पर भी पलटवार करते हुए कहा, “जो व्यक्ति बल्ला नहीं पकड़ सकता, वह भाजपा शासन में आईसीसी या बीसीसीआई का चेयरमैन बन सकता है, लेकिन जिस व्यक्ति को आत्मनिर्भरता में उत्कृष्टता के लिए डीआरडीओ से अग्नि पुरस्कार मिला हो, वह युवाओं के लिए कौशल विकास केंद्र नहीं बना सकता।”