झारखंड में चुनाव के ऐलान के बाद अपनी पहली जनसभा में राहुल गांधी ने भारतीय संविधान की पुस्तक दिखाते हुए कि कहा कि भाजपा इसे खत्म करना चाहती है। इस किताब में भगवान बिरसा मुंडा, बाबा साहेब अंबेडकर, ज्योतिबा फुले और महात्मा गांधी की सोच है। यह किताब दलित, आदिवासी, पिछड़े, किसान, मजदूरों की रक्षा करता है। नरेंद्र मोदी चाहते हैं कि इसे खत्म कर दिया जाए। उनकी सोच को खत्म कर दिया जाए। कांग्रेस नेता ने देश की टॉप ब्यूरोक्रेसी में आदिवासी अफसरों की अत्यंत कम भागीदारी का सवाल उठाया।
राहुल गांधी ने बताया क्यों जातीय जनगणना जरूरी
उन्होंने कहा कि आदिवासियों की देश में कुल आबादी आठ फीसद है, लेकिन उन्हें 100 रुपये में दस पैसे भी खर्च करने का अधिकार नहीं है। देश के कुल बजट का जो खर्च होता है, उसका निर्णय सिर्फ 90 अफसर मिलकर लेते हैं। इनमें मात्र एक आदिवासी, तीन दलित और तीन पिछड़े वर्ग हैं। इन अफसरों के पास मात्र 6 रुपये 10 पैसे खर्च करने अधिकार है। हम चाहते हैं कि पैसा कहां और कैसे खर्च होगा, यह निर्णय लेने का अधिकार 90 फीसद आबादी वाले आदिवासी, दलित, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों को मिले। राहुल गांधी ने कहा कि मैंने संसद में इसलिए जातीय जनगणना की बात उठाई है। इससे यह तस्वीर सामने आ जाएगी कि किस संस्था में किस समुदाय और जाति की कितनी भागीदारी है। पर, इस पर वे लोग कहते हैं कि राहुल गांधी देश को बांटने की कोशिश कर रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष ने भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा कि इनका काम भाई से भाई को, धर्म को धर्म से और भाषा को भाषा से लड़ाना है। ये हर जगह लोगों को बांटने की बात करते हैं और हम नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोलना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि मणिपुर को बीजेपी की विचारधारा वालों ने जलाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज तक वहां नहीं गए।