राहुल गांधी ने ट्वीट कर लिखा, “बहुत दुख की बात है कि हमारे वीर जवानों के लिए जो अमर ज्योति जलती थी, उसे आज बुझा दिया जाएगा। कुछ लोग देशप्रेम व बलिदान नहीं समझ सकते- कोई बात नहीं…हम अपने सैनिकों के लिए अमर जवान ज्योति एक बार फिर जलाएँगे!”
कांग्रेस के ही एनएसयूआई के पूर्व राष्ट्रीय पदाधिकारी और राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर सोशल मीडिया सौरभ राय ने ट्वीट कर कहा, “हम इस मशाल को बुझने नहीं देंगे। यह भारत माता के वीर शहीद सपूतों की अमर गाथा है, इसे महज़ आग समझने की भूल ना करें मोदी सरकार। अमर जवान ज्योति शहीदों का स्मारक है और सदैव रहेगी…हमारी प्रेरणा स्त्रोत।”
कांग्रेस के ही एनएसयूआई के पूर्व राष्ट्रीय पदाधिकारी और राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर सोशल मीडिया सौरभ राय ने ट्वीट कर कहा, “हम इस मशाल को बुझने नहीं देंगे। यह भारत माता के वीर शहीद सपूतों की अमर गाथा है, इसे महज़ आग समझने की भूल ना करें मोदी सरकार। अमर जवान ज्योति शहीदों का स्मारक है और सदैव रहेगी…हमारी प्रेरणा स्त्रोत।”
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आज शुक्रवार को 50 साल से जल रही अमर जवान ज्योति का विलय नैशनल वॉर मेमोरियल पर जल रही लौ में किया जाएगा। ये इंडिया गेट से महज 400 मीटर की दूरी पर ही स्थित है। वर्ष 2019 में 25 फरवरी को प्रधानमंत्री मोदी ने नैशनल वॉर मेमोरियल का उद्घाटन किया था। यहाँ देश के लिए शहीद हुए 25,942 सैनिकों के नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखे गए हैं।
50 साल से जल रही थी ज्योति
बता दें कि इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति की स्थापना 1971 के भारत-पाक युद्ध में शहीद सैनिकों की याद में की गई थी। इस जंग में भारत विजयी हुआ था और बांग्लादेश का गठन हुआ था। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 26 जनवरी 1972 को इसका उद्घाटन किया था और तबसे आज तक ये ज्योति जल रही थी।
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आज शुक्रवार को 50 साल से जल रही अमर जवान ज्योति का विलय नैशनल वॉर मेमोरियल पर जल रही लौ में किया जाएगा। ये इंडिया गेट से महज 400 मीटर की दूरी पर ही स्थित है। वर्ष 2019 में 25 फरवरी को प्रधानमंत्री मोदी ने नैशनल वॉर मेमोरियल का उद्घाटन किया था। यहाँ देश के लिए शहीद हुए 25,942 सैनिकों के नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखे गए हैं।
50 साल से जल रही थी ज्योति
बता दें कि इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति की स्थापना 1971 के भारत-पाक युद्ध में शहीद सैनिकों की याद में की गई थी। इस जंग में भारत विजयी हुआ था और बांग्लादेश का गठन हुआ था। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 26 जनवरी 1972 को इसका उद्घाटन किया था और तबसे आज तक ये ज्योति जल रही थी।
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