कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने बुधवार को अग्निपथ योजना की आलोचना करते हुए लिखा, “जब भारत दो फ्रन्ट पर खतरों का सामना कर रहा है, ऐसे में अग्निपथ योजना सशस्त्र बलों की ऑपरेशन की प्रभावशीलता को कम करेगा।”
अपने ट्वीट में राहुल गांधी ने आगे लिखा, “बीजेपी सरकार को हमारी सेना की गरिमा, परंपराओं, वीरता और अनुशासन से समझौता करना बंद करना चाहिए।”
प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी मोदी सरकार को घेरते हुए लिखा, “भाजपा सरकार सेना भर्ती को अपनी प्रयोगशाला क्यों बना रही है? सैनिकों की लंबी नौकरी सरकार को बोझ लग रही है? युवा कह रहे हैं कि ये 4 साल का नियम छलावा है। हमारे पूर्व सैनिक भी इससे असहमत हैं। सेना भर्ती से जुड़े संवेदनशील मसले पर न कोई चर्चा, न कोई गंभीर सोच-विचार। बस मनमानी?
अग्निपथ योजना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन
राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा का ये बयान तब सामने आ रहा है जब पहले इस योजना का विरोध हो रहा है। बता दें किसेना में भर्ती के लिए सरकार की अग्निपथ योजना का बिहार के कई इलाकों में युवा विरोध कर रहे हैं। यही नहीं बक्सर में सेना भर्ती की तैयारी करने वाले युवा ट्रेन की आवाजाही भी बाधित कर रहे हैं।
अमित शाह का बड़ा ऐलान, ‘अग्निवीरों’ को अर्धसैनिक बलों और असम राइफल्स में प्राथमिकता देगी सरकार
अग्निपथ योजना सवालों के घेरे में?इस योजना को लेकर कहा जा रहा है कि सेना में 15 सालों तक काम करने के बाद सेवानिवृत होने वाले सैनिक को किसी बैंक में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी मिलती है। ऐसे में अग्निवीरों का क्या होगा? क्या ये उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं है?
सवाल तो ये भी उठ रहे हैं कि 6 महीने की ट्रेनिंग में कैसे युवा प्रशिक्षित होंगे? क्योंकि सेना में हथियार, टैंक, आर्टिलरी और मिसाइल यूनिट्स के साथ ही कई तकनीक को सीखने में काफी समय लग जाता है।
गृह मंत्रालय की घोषणा
ऐसे कई सवाल हैं जो अग्निपथ योजना अपर उठ रहे हैं। इन सवालों के बीच गृह मंत्री अमित शाह ने आज बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि 4 साल की नौकरी के बाद अग्निवीर को सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्सेस और असम राइफल्स में भर्ती में प्राथमिकता दी जाएगी।