क्या आपको देश और दुनिया के सबसे बड़े घर के बारे में पता है? अगर नहीं तो आज हम आपको इस घर के बारे में और इसमें रहने वाली महिला के बारे में बारे में बताएंगे। यह घर अंबानी परिवार के एंटीलिया से भी बड़ा है। यह घर है गुजरात का लक्ष्मी विलास पैलेस (Laxmi Vilas Palace), जो कि गायकवाड़ फैमिली का है और दुनिया का सबसे बड़ा प्राइवेट रेजिडेंस भी है।
लक्ष्मी विलास पैलेस में हैं 170 से ज्यादा कमरे
एरिया के मामले में बकिंघम पैलेस (Buckingham Palace) से करीब चार गुना बड़ा है। गायकवाड़ एक समय बड़ौदा के राजा हुआ करते थे। आज भी लोगों के बीच उनका बहुत सम्मान है। फैमिली का नेतृत्व अभी महाराजाधिराज समरजीतसिंह गायकवाड़ (Samarjitsinh Gaekwad) और उनकी पत्नी राधिकाराजे गायकवाड़ (Radhikaraje Gaekwad) कर रहे हैं। 170 से ज्यादा कमरों वाले आलीशान लक्ष्मी विलास पैलेस को महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ तृतीय की ओर से 1890 में करीब 180,000 (1.90 करोड़ रुपये) ब्रिटिश पाउंड की लागत से बनवाया गया था। महल में एक गोल्फ कोर्स भी शामिल है। बकिंघम पैलेस का साइज 8,28,821 वर्ग फीट है। इसके अलावा दुनिया के सबसे महंगे घरों में से एक मुकेश अंबानी का एंटीलिया की कीमत 15,000 करोड़ रुपये है, यह 48,780 वर्ग फीट में फैला है।
कौन हैं राधिकाराजे गायकवाड़ (Who is Radhikaraje Gaekwad)
राधिकाराजे गायकवाड़ (Radhikaraje Gaekwad) का जन्म 19 जुलाई 1978 को गुजरात के वांकानेर में हुआ था। उनके पिता, डॉक्टर एमके रणजीतसिंह झाला ने अपना रॉयल टाइटल छोड़कर एक IAS ऑफिसर के रूप में देश की सेवा की। जानकारी के अनुसार लक्ष्मी विलास पैलेस 3,04,92,000 वर्ग फीट में फैला है। आइए जानते हैं लक्ष्मी विलास पैलेस में रहने वाली राधिकाराजे गायकवाड़ के बारे में-पढ़ने-लिखने की रहीं शौकीन
राधिकाराजे गायकवाड़ (Radhikaraje Gaekwad) पढ़ने-लिखने का शुरू से ही शौक था। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के लेडी श्रीराम कॉलेज से इंडियन हिस्ट्री में मास्टर डिग्री हासिल की है। साल 2002 में महाराजा समरजीतसिंह गायकवाड़ से शादी से पहले वह एक पत्रकार के रूप में काम करती थीं। 20 साल की उम्र में उन्होंने एक पत्रकार के रूप में काम करना शुरू कर दिया था। अपने परिवार में वह पहली ऐसी महिला थीं, जिन्होंने पहली बार नौकरी की। नौकरी के दौरान ही उन्होंने अपनी मास्टर डिग्री पूरी की थी। जानकारी के अनुसार गायकवाड़ की कुल संपत्ति करीब 20000 करोड़ रुपये है।
दिल्ली की DTC बसों में भी घूमी
मीडिया रिपोर्ट के आधार पर राधिकाराजे गायकवाड़ ने बताया कि मैं दिल्ली की DTC बसों में सफर करती थीं। मेरा पालन-पोषण भी किसी आम नागरिक की तरह ही हुआ था। मेरे दादा, वांकानेर के महाराजा, 1938 में पैदा हुए थे, लेकिन वह उस समय पले-बढ़े जब भारत एक लोकतांत्रिक देश बन चुका था। उन्होंने भविष्य को देखा और बच्चों से कहा कि उन्हें अपना भाग्य खुद बनाना होगा। नए तरीकों से भारत को योगदान देना होगा। वह चाहते थे कि मेरे पिता अपने विशेषाधिकारों और पेशे का इस्तेमाल नए भारत के लिए करें। इसलिए हमारा जीवन मजदूर परिवार जैसा ही था, मैं इसके लिए बहुत आभारी हूं।
राधिकाराजे गायकवाड़ ने यह भी बताया कि हम छुट्टियों में वांकानेर जाया करते थे, जहां बेंटले और ब्यूक जैसी गाड़ियां थीं। इस तरह मैंने दोनों तरह के लाइफ का मजा लिया और दोनों ही चीजों ने मुझे बहुत कुछ सिखाया। बता दें कि महाराजा समरजीतसिंह गायकवाड़ को साल 2012 में लक्ष्मी विलास पैलेस में एक पारंपरिक समारोह में बड़ौदा का महाराजा बनाया गया था।