सामान्य तौर पर राज्य सरकार की अनुमति के बाद ही किसी मामले की जांच एजेंसी NIA को सौंपी जाती है। हालांकि, गृह मंत्रालय यदि मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच को आवश्यक समझता है तो वो राज्य सरकार की सहमति के बिना भी NIA को जांच सौंप सकता है।
इस ब्लास्ट को लेकर इसलिए भी किसी साजिश की बात कही जा रही थी क्योंकि इस ब्लास्ट से पहले ही भीड़ द्वारा दो मामलों में हत्या कर दी थी। इन घटनाओं को विधानसभा चुनावों से जोड़कर देखा जा रहा है। तब पंजाब के मुख्यमंत्री ने इस मामले पर कहा था “पहले यहां बेअदबी के प्रयास किए गए। जब उसके बाद भी अशांति पैदा करने में सफलता नहीं मिल पाई तो अब ऐसी घटनाओं का सहारा लिया जा रहा है। जैसे-जैसे चुनाव करीब आ रहा है।”
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