सीजेआई ने बताया कितने पद कहां हैं खाली
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु (Droupadi Murmu) की मौजूदगी में सीजेआई ने कहा कि जिला स्तर पर न्यायिककर्मियों के 28 प्रतिशत और गैर-न्यायिक कर्मचारियों के 27 प्रतिशत पद खाली हैं। मुकदमों के निस्तारण की संख्या नए दर्ज होने वाले मामलों से बढ़ाना कुशल लोगों की भर्ती पर निर्भर करता है। सीजेआई ने पुराने लंबित मुकदमों को कम करने के रोडमैप का भी जिक्र किया। उन्हाेंने एक बार फिर न्यायपालिका में महिलाओंं की भागीदारी बढ़ाने पर जोर देते हुए सवाल किया कि क्या जिला स्तर पर न्यायालयों का केवल 6.7% बुनियादी ढांचा ही महिला-अनुकूल होना स्वीकार्य है? कार्यक्रम में राष्ट्रपति मुर्मु ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के ध्वज और प्रतीक चिन्ह का अनावरण भी किया। समारोह में जस्टिस सूर्यकांत और कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी मौजूद थे।
‘गरीब लोग अदालत जाने से डरते हैं’
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने मुर्मु ने कहा कि लंबित मामलों और लंबित मामलों की संख्या न्यायपालिका के सामने एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि बलात्कार (Rape) जैसे जघन्य अपराध में जब फैसले पीढ़ी गुजरने के बाद आते हैं तो आम आदमी को न्यायिक प्रक्रिया में संवेदनशीलता की कमी लगती है। गांव के गरीब लोग अदालत जाने से डरते हैं। उन्हें लगता है कि न्याय के लिए लड़ना उनके जीवन को और अधिक कष्टमय बना सकता है। कई लोग कल्पना भी नहीं कर सकते कि स्थगन की संस्कृति के कारण गरीब लोगों को कितना दर्द होता है। इस स्थिति को बदलने के लिए हरसंभव उपाय किए जाने चाहिए।