जस्टिस बनर्जी ने यहां इंडिया हैबीटेट सेंटर में इंडियन स्कूल ऑफ डेमोक्रेसी की ओर से भविष्य के नेताओं को लोकतंत्र की यात्रा पर विचार करने और सैद्धांतिक राजनीति की पुनर्कल्पना करने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से आयोजित डेमोक्रेसी फ्रेस्टिवल को सम्बोधित करते हुए कहा कि जो कोई भी राजनेता बनने की इच्छा रखता है, उसे ऐसा कुछ भी करने से बचना चाहिए जो हमारे राष्ट्र की अखंडता को प्रभावित करता हो। ‘लोकतंत्र में विश्वास का निर्माण – न्यायपालिका की एक महत्वपूर्ण भूमिका’ विषयक की-नोट सम्बोधन में उन्होंने कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता और निष्पक्षता लोकतंत्र के लिए बहुत मायने रखती है।
दो दिवसीय आयोजन में राजनीति में युवा, सैद्धांतिक-राजनीति के रास्ते, राजनीति में अस्मिता की भूमिका, राजनीति में नागरिक समाज की भूमिका जैसे कई मुद्दों पर पैनल चर्चा व विचार विमर्श किया गया। दलबदल कानून पर पैनल चर्चा में टीएमसी की पूर्व सांसद सुष्मिता देव, कांग्रेस प्रवक्ता अलका लाम्बा व आम आदमी पार्टी की प्रवक्ता रीना गुप्ता ने कहा कि दल-बदल विरोधी कानून का सबसे बुरा हिस्सा हाई-प्रोफाइल राजनीति में नहीं, बल्कि नगर पालिकाओं और पंचायतों में नजर आता है। इसलिए यह देखा जाना चाहिए कि राजनीति में कौन आ रहा है और उनकी फंडिंग कहां से हो रही है।
एक परिचर्चा एनडीए बनाम इंडिया गठबंधन को लेकर भी हुई। इसमें राज्यसभा सांसद मनोज झा, दिल्ली के मंत्री सौरभ भारद्वाज, भाजपा प्रवक्ता जयवीर शेरगिल व पूर्व सांसद संजय पासवान ने लोकतंत्र में गठबंधन की राजनीति का अहम रोल है, मगर यह लोकतंत्र के पोषक के रूप में होना चाहिए ताकि वैचारिक मतभेदों के बावजूद कामकाज में देश का एक संयुक्त विजन नजर आए।
जनप्रहरी अभियान की भी दी जानकारी
राजस्थान पत्रिका समूह की ओर से स्वच्छ राजनीति को प्रोत्साहन के लिए चलाए जा रहे जनप्रहरी अभियान की भी डेमोक्रेसी फेस्टिवल को दौरान जानकारी दी गई। पत्रिका फाउंडेशन के दल ने पूर्व में चलाए गए पत्रिका चैंज मेकर अभियान से जनप्रहरी तक की उपलब्धियों का ब्यौरा पेश किया।